कविता : सच्ची मित्रता

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सुनील कुमार माथुर

अक्षरों ने आपस में मिलकर
शब्दों का मायाजाल बिछाया
आपस में सलाह – मशविरा करके
कलम से मित्रता की और
अपनी समस्या बताई

तब कलम ने कहा , स्याही के बिना मैं अधूरी हूं
स्याही ही मेरे प्राण हैं , स्याही बिना मैं मृत हूं
कलम की बात सुनकर
अक्षरों ने स्याही से मित्रता की और
अक्षर , शब्दों , कलम , स्याही की मित्रता को देखकर

कागज ने अपनी छाती खोल दी और
अमर शहीदों की भांति सीना तानकर कागज बोला ,
भाई कलम तुम्हारा स्वागत है
आपकी लेखनी से मैं धन्य हुआ

मुझ पर गीत , गजल और ज्ञान की
जो धुआंधार लेखनी चलेगी
उससे मेरा रोम – रोम चमक उठेगा
आजादी का इतिहास लिखा जायेंगा

धर्म ग्रंथ लिखे जायेंगे , पुस्तक का रूप लेकर
मैं विधार्थियों का जीवन संवार दूंगा
अक्षर , शब्दों , कलम , स्याही और
कागज की मित्रता आज
इतिहास में अमर हो गई


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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From »

सुनील कुमार माथुर

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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