कविता : आकाश की छाया

राजीव कुमार झा
सबसे अच्छा
साथ उसी का होता
जो अपने मन के साथ
सदा
रात की ठंडी छाया में
सोता
अरी सुंदरी,
सुबह हिलोरें लेता सागर
जब पांव तुम्हारे
धोता
किनारे खूब दूर तक
फैली धरती
यहां विहंसती
चारो ओर दिखाई
देती
बारिश में
वह कुछ दिन पहले
जी भरकर नहाई
उसके बाद
यहां शाम में चिड़िया
चहचहाई
सुबह आकाश
धूप से भर
गया
आज का दिन
मानो ऐसा लगा
सबसे हो नया
सपनों की रानी
सबसे सुंदर लगती
अब खूब सयानी
प्रेमभरी गलियों से
होकर मेले में आयी
हवा नदी किनारे
सबको भायी
👉 देवभूमि समाचार के साथ सोशल मीडिया से जुड़े…
WhatsApp Group ::::
https://chat.whatsapp.com/La4ouNI66Gr0xicK6lsWWO
FacebookPage ::::
https://www.facebook.com/devbhoomisamacharofficialpage/
Linkedin ::::
https://www.linkedin.com/in/devbhoomisamachar/
Twitter ::::
https://twitter.com/devsamachar
YouTube ::::
https://www.youtube.com/channel/UCBtXbMgqdFOSQHizncrB87A
देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() |
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|