कविता : रोज का चेहरा

राजीव कुमार झा
अरी प्रिया
जीवन सबसे सुंदर
संग तुम्हारे लगता
कोई ठंडा मीठा
झरना
ऊंचे पर्वत से
मानो घर के पास
कहीं पर गिरता
अब समय के
साथ धूप में
काफी साफ
तुम्हारा चेहरा
दिखता
कोई सुंदर फूल
कमल का
रोज सरोवर में
मानो हो खिलता
धूल , धूप , पानी
पत्थर पर
जीवन का स्पर्श
हमारा
वन प्रांतर से
जो नदी गुजरती
उसके तट पर
धूप खिली
हवा बही
यह कितना सुंदर
सब लगता सारा
तुमसे कहां कभी
मन हारा
सदा भिगोती रहती
जीवन तट को
उस पावन
नदिया की धारा
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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