साहित्य लहर

कविता : पुलिस हमारे देश की

कविता : पुलिस हमारे देश की… विपदा में बेख़ौफ़ हो, देती अपनी जान। ऋणी हैं सभी पुलिस के, देते हम सम्मान। सीटी मारे जब पुलिस, बजे हृदय में तार। अभी तुम्हारी ले खबर, उठती एक पुकार।। ये भी माँ के लाडले, इनके भी परिवार। #डॉo सत्यवान सौरभ

पुलिस हमारे देश की,
हँस-हँस सहती वार।
परिजनों से दूर रहे,
ले कंधे पर भार।।

होली या दीपावली,
कैसा भी हो काम।
पुलिस रक्षक दल बने,
बिना करे विश्राम।।

हम रहते घर चैन से,
पहरा दे दिन रात।
पुलिस सामने आ अड़े,
सहने हर आघात।।

अमन शांति कायम रहे,
प्रतिपल है तैयार।
सतत, सजग हो कर करे,
अपराधी पर वार।।

विपदा में बेख़ौफ़ हो,
देती अपनी जान।
ऋणी हैं सभी पुलिस के,
देते हम सम्मान।

सीटी मारे जब पुलिस,
बजे हृदय में तार।
अभी तुम्हारी ले खबर,
उठती एक पुकार।।

ये भी माँ के लाडले,
इनके भी परिवार।
होली क्या दीपावली,
ड्यूटी पर हर बार।।

दलित किसके लिए लड़ रहे हैं…?


डॉo सत्यवान सौरभ,
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148,01255281381


कविता : पुलिस हमारे देश की... विपदा में बेख़ौफ़ हो, देती अपनी जान। ऋणी हैं सभी पुलिस के, देते हम सम्मान। सीटी मारे जब पुलिस, बजे हृदय में तार। अभी तुम्हारी ले खबर, उठती एक पुकार।। ये भी माँ के लाडले, इनके भी परिवार। #डॉo सत्यवान सौरभ

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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