कविता : आ कर तो देखो

वीरेंद्र बहादुर सिंह

किसी का दिल तोड़ना आसान है,
इस दिल में किसी को बसा कर तो देखो।
दरियादिल बनना आसान नहीं,
सागर जैसा दिल तुम बना कर तो देखो।

दोस्ती करो तो कृष्ण और सुदामा जैसी,
दोस्त के लिए सर्वस्व लुटा कर तो देखो।
जिस गमले से उसने पौधा उखाड़ दिया,
उस गमले में नया पौधा लगा कर तो देखो।

भरा जाम लुढ़काना आसान है,
उस जाम को खुद से भर कर तो देखो।
मेहमान नवाजी में कभी पीछे नहीं हटूंगा,
मेरे दरवाजे कभी आ कर तो देखो।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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वीरेंद्र बहादुर सिंह

लेखक एवं कवि

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जेड-436-ए, सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उत्तर प्रदेश) | मो : 8368681336

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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