साहित्य लहर

कविता : समय का बदलाव

डॉ.राजीव डोगरा, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)

सब कुछ बदल जाता है
वक़्त के साथ
प्रतिष्ठा, परंपरा, मर्यादा
मगर नहीं बदलता
व्यक्ति का व्यक्तित्व।

सब कुछ चला जाता है
वक़्त के साथ
अपने,पराये,हमराही
मगर नहीं जाता व्यक्ति का
अपनेपन का वहम।

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सब कुछ खो जाता है
समय के साथ
बचपन,यौवन, पद
मगर नहीं खोता
अपनों के लिए दिया वक़्त।


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