कविता : नये भारत का नव निर्माण करें

सुनील कुमार माथुर
देशवासियों सूर्य हर रोज उदय होता हैं
वह धीरे-धीरे ऊपर चढता है और
आपनी सुनहरी किरणों के माध्यम से
प्रकाश कर वह इस जगत को रोशन करता है
वह हर रोज आता हैं और अपनी
रोशनी बिखेर कर संध्या को चला जाता हैं
फिर भी वह
अपनी चमक बरकरार रखता है
आने और जानें के चक्कर में वह
( सूर्योदय व सूर्यास्त के बीच में )
किसी का अहित नहीं करता हैं अतः
मेरे देश के युवाओं ! उठो , जागो और
अपना कर्म करों
अपनी प्रतिभा को हर रोज निखारिएं
समाज को एक नई दशा व दिशा प्रदान करें
सकारात्मक सोच दीजिए और
स्वंय प्रगतिशील विचारों के बनें और
दूसरों को भी प्रगतिशील बनाइये तभी
नयें भारत का नव निर्माण होगा
सर्वश्रेष्ठ चिंतन करें , सर्वश्रेष्ठ लेखन करें व
सर्वश्रेष्ठ समाज व राष्ट्र का निर्माण करें
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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