लक्ष्मी माता के नाम खुला खत
सुनील कुमार माथुर
हे लक्ष्मी माता, आपको प्रणाम। हे लक्ष्मी माता इस बार आप हमारे घर जरूर पधारना। चूंकि कोरोना महामारी के चलते हमारा सब-कुछ लूट गया। लाॅकडाउन के चलते जो धंधा मंदा पडा वह आज दिन तक पटरी पर नहीं आया। धंधा चौपट होने से घर – परिवार का बजट डगमगा गया । कारोबार शुरू करते वक्त बैंक से जो लोन लिया था उसकी किश्तें चुकाना मुश्किल हो गया है और जो बच्चा निजी संस्थान में कार्यरत था उसे भी धंधा मंदा हैं कह कर नौकरी से निकाल दिया वहीं बच्चों की पढाई चौपट हो गई ।
हे लक्ष्मी माता ! पेट्रोल , डीजल व रसोई गैस के दामों में भारी बढोतरी हो गयी । इतना ही नहीं अनाज , दालें , सब्जियां , खाध तेलों व अन्य खाध सामग्रियों के दाम आये दिन बढ रहें है जिससे रसोई का बजट भी गडबडा गया और थाली से हरी सब्जियां गायब होने लगी हैं।
हे लक्ष्मी माता ! इस बार पूजा की थाली में शायद ही मिठाई पकवान , फल रख पायेंगे और शायद ही बच्चों को खिला पायेंगे । पटाखे लाना तो दूर की बात हैं । हें लक्ष्मी माता ! हम से जितना भी बन पडेगा , हम जरूर कुछ करेंगे लेकिन जो भी बने उससे संतुष्ट होकर इस भक्त पर कृपा करना और हो सकें तो अब निम्न व मध्यम वर्गीय परिवारों में ही विचरण कर उन्हें आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न करना और मंहगाई पर अंकुश लगाकर देश की जनता को मंहगाई की मार से राहत दिलाये ।
हे लक्ष्मी माता ! हम पर दया करो , रहम करों, हमारी मदद करों । हें लक्ष्मी माता ! बस हमारी अब आप पर ही आस हैं अगर आप ने हमारी ( देशवासियों की )नहीं सुनी तो हम पर क्या बीतेगी इसकी कल्पना मात्र से ही हमें भय लग रहा हैं।
हे लक्ष्मी माता ! आप जमकर निम्न व मध्यम वर्गीय परिवारों पर धन की वर्षा करके उनके खोये मनोबल को पुनः स्थापित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपनी ओर से भरपूर प्रयास करना । हें लक्ष्मी माता ! बढती मंहगाई ने पिछले सारे रेकार्ड तोड दियें लेकिन सता की कुर्सी पर बैठे व चिपके निरो बंशी बजा रहें है और देश की जनता में त्राहि – त्राहि मची हुई है ।
जनता-जनार्दन की पीडा व दर्द को सुनने वाला कोई नहीं है । हर पार्टी सता की कुर्सी पाने में लगी हुई है व जनता-जनार्दन उपेक्षित जीवन व्यतीत कर रही हैं । हें लक्ष्मी माता ! कहां गई लोक कल्याणकारी सरकारें । कहां गई दूध , दही व घी की नदियां । आज तो बात – बात पर लोग एक – दूसरे के खून के प्यासे हो रहें है । शायद इस देश में कुछ सस्ता है तो वो हैं इंसान । तभी तो आज इंसान बेमौत मारे जा रहें है ।
हें लक्ष्मी माता ! हमारी तो आंखों के आंसू भी सूख गये हैं । हें लक्ष्मी माता ! हमें धन – धान्य , हीरे जवाहरात , सोना – चांदी नहीं चाहिए । बस दो वक्त की रोटी आसानी से उपलब्ध हो जायें । बच्चे सम्मान के साथ पढ लिखकर अपने पैरों पर खडे हो जायें, उधारी चुकता हो जायें व सिर पर कोई कर्जा न हो । हे लक्ष्मी माता ! इसके अलावा और कुछ भी नहीं चाहिए । आपका आशीर्वाद सदा हम पर बना रहें एवं कोरोना जैसी महामारी का विनाश हो । सभी लोग पुनः पहले की भांति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें । ऐसी कृपा कीजिए ।
हें लक्ष्मी माता ! यह इस देश का दुर्भाग्य है कि आज जूते तो बडे – बडे शौ रूमों में बिक रहें है और धार्मिक पुस्तकें फुटपाथ पर बिक रही हैं चूंकि आज हम अपने ही संस्कारों को भूलते जा रहें है । अतः देश भर में एक बार फिर से युवापीढी को संस्कारवान व चरित्रवान बनाने के लिए आदर्श संस्कार ग्रहण करने का उनसे आव्हान करें । इसी आशा व विश्वास के साथ आपका एक भक्त।
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