साहित्य लहर
नया साल आया है
संजना
नया साल आया है,
खुशियों की बहार लाया है।
बीते हुए कल को बुलाना है,
नए साल को खुशहाल बनाना है।
इस साल के दुखों को मिटाना है,
नए साल को सुकून से बिताना है।
नए साल का तो पता नहीं,
पर बीते हुए कल ने बहुत कुछ सिखाया।
कौन कब तक साथ देता है,
यह तो वक्त बता देता है।
जिन्हें छोड़ना था छोड़ गए,
जिन्हें निभाना है वह आज भी साथ हैं।
पुराने साल तो बीत गया,
अब नए साल को बेहतर बनाना है।
चूहा निकला बिल से,
दोस्तों हैप्पी न्यू ईयर दिल से।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »संजना11वीं कक्षा की छात्रा, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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