साहित्य लहर
नयन सजल देखा

आशीष तिवारी निर्मल
पल-पल देखा प्रतिपल देखा
तुझमे न कोई छल देखा।
मन व्याकुल सा हो उठता मेरा
तुझसे दूरी का प्रतिफल देखा।
यह वाणी विवश अमूक मेरी
तत्क्षण नयन सजल देखा ।
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आना है तो आज ही आओ
कहाँ किसी ने कल देखा ?
हे प्राणप्रिये ! कुछ तो बोलो
तुमसा नही चपल देखा॥
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »आशीष तिवारी निर्मलकवि, लेखक एवं पत्रकारAddress »मकान नंबर 702 लालगाँव, जिला रीवा (मध्य प्रदेश) | Mob : 8602929616Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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