राष्ट्र सेवा ही सर्वोपरि

ओम प्रकाश उनियाल

अक्सर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि हम तो देश सेवा कर रहे हैं। उनकी बात को कोई नकार नहीं रहा है। राष्ट्र सेवा हरेक नागरिक अपने-अपने स्तर से कर ही रहा है। चाहे उसका योगदान छोटा है या बड़ा, कम है या ज्यादा, सेवा ही है। हालांकि, आज उसके बदले में नागरिकों को सुख-सुविधाएं और अर्थ की प्राप्ति हो रही है।

किसी को कम तो किसी को अधिक। किसी को अनेकों कष्ट भी उठाने पड़ते हैं। ऐसे भी लोग रहे हैं जिन्होंने देश के लिए निस्वार्थ भाव से अपना सर्वस्व न्यौछावर कर डाला। आज यदि देश पर कोई भारी संकट आ जाए तो भी देश की खातिर मर-मिटने वाले हैं तो सही लेकिन वह जज्बा देखने को नहीं मिलता। देश की आजादी की लड़ाई का इतिहास तो सबने ही सुना-पढ़ा होगा ही।

आजादी पाने के लिए महिलाएं-पुरुष एकजुट होकर स्वेच्छा से स्वतंत्रता आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। शहीद भगत सिंह, चंद्र सिंह आजाद जैसे अनेकों वीरों की कुर्बानी का इतिहास राष्ट्रभक्ति और सेवा का स्मरण कराता है और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव रखने की प्रेरणा देता है।

अपने राष्ट्र की सेवा करना हरेक नागरिक का कर्तव्य होता है। देश को तोड़ने के लिए देश के भीतर ही अलगाववादी, आतंकवादी, माओवादी जैसी ताकतें दिनोंदिन पनपती ही जा रही हैं। जो कि पल इस देश में रहे हैं और गुणगान दूसरों का करते फिरते हैं। इनको मुंहतोड़ जवाब देने के बावजूद भी राष्ट्रविरोधी षडयंत्र रचने को ये अपना धर्म मानते हैं।

देश की जिस भी रूप में जो सेवा कर रहा है उसका बखान न करे। बखान करने व अहसान दिखाने से किसी भी प्रकार की सेवा निरर्थक हो जाती है। निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करना, देशहित की सोचना सर्वोपरि धर्म है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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