कैंपिंग, ट्रेकिंग, पर्वतारोहण, जंगल सफारी के लिए जा सकते हैं नैनीताल

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कैंपिंग, ट्रेकिंग, पर्वतारोहण, जंगल सफारी के लिए जा सकते हैं नैनीताल, नैनीताल के पास एक ताल और है नौकुचियाताल। इस झील के टेढ़े-मेढ़े कुल नौ कोने हैं जिसकी वजह से ही इस झील का नाम नौकुचियाताल पड़ा।

नैनीताल उत्तराखंड का एक खूबसूरत पर्यटक स्थल है। इस शहर को विशेष बनाती है आकर्षक नैनी झील। यह स्थान दर्शकों को शांति और ताजगी की अनुभूति कराता है। यह एक ऐसा स्थान है जहां आपको खूबसूरत नजारे देखने के साथ-साथ शांति और सुकून का एहसास भी होता है। नैनीताल में आपको खूबसूरत पर्वत शिखर, प्राकृतिक झील और सुंदर वन देखने को मिलते हैं।

नैनीताल के चारों ओर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी होता है। यह समय शहर की जलवायु के लिए उपयुक्त होता है। इस समय, झील के चारों ओर फैली ताजगी आपको मदहोश कर देती है। नैनीताल नैनी झील के आस-पास फैला हुआ है। यह झील सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है जहां नैना देवी की पूजा की जाती है।

नैनीताल में गर्मियों में आप कैंपिंग, ट्रेकिंग, पर्वतारोहण, जंगल सफारी के लिए आ सकते हैं। इसके अलावा, आप नैनी झील में बोटिंग भी कर सकते हैं। पर्यटक स्थल नैनीताल में स्थित माता नैनी देवी मंदिर सहज ही पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में इसे फिर से बनाया गया।

इस मंदिर में सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारे में मान्यता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीलिए यहां इस मंदिर की स्थापना की गयी।

इस मंदिर में नैना देवी की प्रतिमा के साथ ही भगवान श्री गणेश और काली माता की मूर्तियां भी लगाई गयी हैं। साथ ही पीपल का एक विशाल वृक्ष मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित है जिसके साथ भी कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यहां लोग मन्नत मांगने आते हैं और पीपल के पेड़ पर इसके लिए लाल चुन्नी या धागा बांधते हैं। मंदिर के आसपास का दृश्य भी बेहद खूबसूरत है। इस मंदिर के ठीक बाहर तिब्बती बाजार लगता है।

नैनीताल के पास एक ताल और है नौकुचियाताल। इस झील के टेढ़े-मेढ़े कुल नौ कोने हैं जिसकी वजह से ही इस झील का नाम नौकुचियाताल पड़ा। चारों तरफ से हरे भरे पहाड़ियों से घिरी यह झील नैनीताल की सभी झीलों में सर्वाधिक गहरी है।

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