मेरे विचार : छोटा सा शब्द
मेरे विचार : छोटा सा शब्द, ईश्वर ने हमें बहुत कुछ दिया है। इसलिए उसका धन्यवाद करना चाहिए। देना वाला तो वही है और उसे यह भी मालुम है कि किसे कब क्या देना हैं फिर यह हाय तौबा क्यों। जीवन को वर्तमान में जीओं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
प्रेम, दया, करुणा, विश्वास, ईमानदारी ये कुछ ऐसे शब्द हैं जो देखने में बहुत ही छोटे शब्द है। लेकिन जब हम इनका व्यवहार में प्रयोग करे तो ये शब्द बडे ही वजनदार हो जाते हैं और हमारे व्यक्तित्व को ही बदल देते हैं। बस हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। इन शब्दो को पढने मे़ एक सैंकड लगता हो, समझने में एक दिन, लेकिन समझने मे़ पूरी जिंदगी लग जाती है। इसलिए इन्हें अपने जीवन में आत्मसात करे और सभी से प्रेम पूर्वक व अच्छा व्यवहार करे। तभी आप जन जन के प्रिय बन पाओगे।
कमियों को नजर अंदाज करें : इस नश्वर संसार में कोई भी व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न नहीं है। हर किसी को किसी का सहारा चाहिए। रिश्ते नातें सभी विश्वास से चलते हैं। इसलिए कभी भी यह न सोचें कि मेरे बिना किसी का काम कैसे होगा। काम कभी रूकने वाला नहीं हैं। हां हमे मधुर व मजबूत रिश्ते नातें बनाये रखने के लिए सामने वाले की कमियों को नजर अंदाज करना होगा कभी किसी की हां में हां जबरदस्ती न मिलाएं अन्यथा कभी संकट में पड सकते हैं। इसलिए कोई न कोई बहाना बनाकर अपने को पहले से ही अलग कर लिजिए। चूंकि किसी ने कहा है कि संबंधों को मजबूत बनाये रखने के लिए कभी कभी बहानेबाजी बडे काम की सिध्द होती है जिसे चालू भाषा में मिट्ठी छूरी भी कहा जाता हैं।
श्रेष्ठ जीवन जीना भी एक कला है और जिसने इस कला को सीख लिया उसका जीवन स्वर्गमय हो जाता है अन्यथा जीवन में बाधाओं की कोई कमी नहीं है। विचारीणय
आपकी गलती कोई नहीं भूलता : आज का जमाना स्वार्थ की सीढी के सहारे चल रहा हैं। चूंकि जब तक आपसे हमें मतलब है तभी तक हम आपके हैं। वरना कौन किसका हैं। यह दुनियां ही मतलब की नींव पर टिकी हैं। हर कोई अपना स्वार्थ, लाभ, फायदा दूसरों से कैसे प्राप्त करें। इसी में लगा हुआ हैं। आप किसी के सौ अच्छे काम कर दीजिए, लेकिन वह आपको धन्यवाद तक नही देगा अपितु कभी याद भी दिला दिया तो एक ही जवाब है कि अपनों को कैसा धन्यवाद। लेकिन आप से उनका एक काम बिगड गया तो वे आपको पूरी जिंदगी सुनायेगे। वे आपके सौ अच्छे काम भूल सकते है लेकिन एक गलती नहीं भूल सकते।
हर एक से सीखों : जीवन में जब भी मौका मिलता हैं तब तब सीखते रहिए। यह मत देखिए कि यह छोटा है या यह बडा है। जो हमें सीखा दे, वही हमारा गुरू है और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। सीखने की प्रक्रिया तो निरन्तर जारी रहनी चाहिए तभी तो हम समय के साथ चल पायेगे। इसलिए जहां तक हो सके हर रोज अपने आपकों अपडेट कीजिए। जब आदर्श जीवन जीना चाहते हो तो हर एक की सुनिए हर एक से सिखिए। चूंकि हर कोई सब कुछ नहीं जानता है। लेकिन हर एक कुछ न कुछ जरूर जानता है। किसी ने बहुत ही अच्छी बात कही है कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग हम दुनियां को बदलने के लिए कर सकते हैं। आज वह वक्त आ गया है कि हम समाज को कुछ नया करके दे, चूंकि समाज से हमें अपने जीवन में बहुत कुछ मिला हैं।
आज का इंसान उसके पास जो कुछ भी हैन उसकी कद्र नहीं कर रहा है और जो उसके पास नहीं है उसे पिने में अपना समय बर्बाद कर रहा हैं। खरी-खरी
हर वक्त शांत और प्रसन्नचित रहें : संसार के तमाम झंझटों का नाम ही दुनियां हैं। अगर समाज में झंझटों, अशांति, दुखों का पहाड़, शिकवे शिकायते न हो तो किसको क्या पडी है कि वह आपसे सीधे मुंह बात करें। आरे जनाब ! यह तो मतलब की दुनियां है जहां हर कोई अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगा हैं। कभी कभी तो इंसान इतना परेशान हो जाता है कि इस परेशानी के चलते वह अच्छा बुरा सब भूल जाता है और आच्छा खासा जानकार होते हुए भी उसके हाथ से बुरा हो जाता हैं फिर केवल पछतावा के आलावा कुछ भी नही हैं। इसलिए हमेंशा शांत रहे और प्रसन्नचित रहें। जो शांतचित्त होकर कार्य करता है वह कठिन परिस्थितियों में भी सही राह खोज निकाल लेता हैं।
कला और साधना : श्रेष्ठ जीवन जीना भी एक कला है और जिसने इस कला को सीख लिया उसका जीवन स्वर्गमय हो जाता है अन्यथा जीवन में बाधाओं की कोई कमी नहीं है। एक ढूंढों तो हजार बाधाएं मिल जायेगी और उनके निस्तारण में पूरी जिंदगी खपा दो तो भी कम पड़ जायेगी। लेकिन आपसी संबंधों को प्रेम पूर्वक निभाना एक साधना है। संबंधों को निभाने के लिए कभी कभी जहर का घूंट भी पीना पडता हैं अन्यथा पीढ़ियों पुराने मधुर संबंध कांच के टुकड़ों की भांति बिखरते देर नही लगती। तभी तो कहा जाता है कि रिश्तों की मजबूती के लिए प्यार, स्नेह, दया, ममता, वात्सल्य, त्याग, धैर्य, सहनशीलता और शांति की नितांत आवश्यकता होती है। यह एक कठोर साधना है इस कठोर साधना को निभाना वर्तमान समय में हर किसी के बस की बात नही हैं।
व्यर्थ की चिंता : आज का इंसान उसके पास जो कुछ भी हैन उसकी कद्र नहीं कर रहा है और जो उसके पास नहीं है उसे पिने में अपना समय बर्बाद कर रहा हैं। समय आने पर सब कुछ मिल जाता है। ईश्वर ने हमें बहुत कुछ दिया है। इसलिए उसका धन्यवाद करना चाहिए। देना वाला तो वही है और उसे यह भी मालुम है कि किसे कब क्या देना हैं फिर यह हाय तौबा क्यों। जीवन को वर्तमान में जीओं। भविष्य में जाकर नहीं हां धन कमाना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन जो है उसकी अनदेखी कर जीवन जीना कहां की बुद्धिमानी है।
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