विश्व स्वास्थ्य दिवस पर स्वस्थ शुरुआत और आशापूर्ण भविष्य का संदेश

जहानाबाद। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जीवनधारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्षगांठ के रूप में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, जो संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण विभाग है। श्री पाठक ने बताया कि हर वर्ष स्वास्थ्य दिवस एक विशेष सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन मिलकर दुनिया भर की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता और प्रयास करते हैं।
उन्होंने इस वर्ष, 2025 के विश्व स्वास्थ्य दिवस के विषय “स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य” पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह विषय माताओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और जीवन को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। इसका मुख्य उद्देश्य उन मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के बारे में जागरूकता बढ़ाना है जिन्हें रोका जा सकता है। श्री पाठक ने बताया कि यह अभियान गर्भावस्था और प्रसवोत्तर देखभाल के दौरान महिलाओं और शिशुओं दोनों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल के महत्व को रेखांकित करता है।
उन्होंने पिछले वर्षों के विश्व स्वास्थ्य दिवस के विषयों का भी उल्लेख किया, जैसे 2024 में “मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार”, 2023 में “सभी के लिए स्वास्थ्य”, 2022 में “हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य”, 2021 में “सभी के लिए एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण”, 2020 में “नर्सों और दाइयों का समर्थन करें” और 2019 में “सार्वभौमिक स्वास्थ्य: हर कोई, हर जगह”। श्री पाठक ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य पहुंच स्थापित करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, विभिन्न सरकारों ने स्वास्थ्य और इसकी सार्वभौमिक पहुंच को नए स्वतंत्र राष्ट्रों की स्थापना के लिए एक आवश्यक तरीका माना। 1948 में स्थापित विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अन्य संयुक्त राष्ट्र संगठनों के साथ मिलकर एक नई, स्वतंत्र और स्वस्थ दुनिया बनाने का लक्ष्य रखा।
उन्होंने WHO के इतिहास और विश्व स्वास्थ्य दिवस के विकास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि दिसंबर 1945 में संयुक्त राष्ट्र में ब्राजील और चीन ने एक वैश्विक स्वास्थ्य संगठन का सुझाव दिया था जो किसी भी सरकारी नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त हो। जुलाई 1946 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान की पुष्टि हुई और 7 अप्रैल, 1948 को यह लागू हुआ, जिसमें 61 राष्ट्र शामिल हुए। पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस 22 जुलाई, 1949 को मनाया गया था, जिसे बाद में छात्रों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए बदलकर 7 अप्रैल कर दिया गया।
श्री पाठक ने बताया कि 1950 से, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक सदस्य देशों और कर्मियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर प्रत्येक वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस के लिए एक नया विषय चुनते हैं। पिछले 50 वर्षों में, इस दिवस ने मानसिक स्वास्थ्य, मातृ एवं शिशु देखभाल और जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों पर प्रकाश डाला है। श्री पाठक ने स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी सामान्य जानकारी के स्रोतों के बारे में भी बताया और लोगों से अपने स्वास्थ्य के संबंध में कोई भी निर्णय लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करने का आग्रह किया