कैशबैक कूपन देकर ग्राहकों को बेवकूफ बना रही है मीशो कंपनी, पढ़ें मामला
नम्बर भी ऐसे कर्मचारियों का दिया जाता है, जो न तो बात करते हैं और नही रिप्लाई
कैशबैक कूपन देकर ग्राहकों को बेवकूफ बना रही है मीशो कंपनी… बहरहाल, बात 200 रूपये प्राप्त करने की नहीं थी और न ही वारंटी के चक्कर में अपना समय खराब करने की। बात केवल इतनी है कि क्या मीशो अपने सभी ग्राहकों को ऐसे ही बेवकूफ बना रहा है। मीशो ने ऐसे कर्मचारी अपने संस्थान में क्यों रखे हुये हैं, जो कि लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं।
देहरादून। वर्तमान समय में डिजिटलाईजेशन ने इनसान के हाथ-पांव बांध दिये हैं। क्योंकि खाना-पीना, घूमना-फिरना और शाॅपिंग करना भी आनलाईन हो चुका है। मानव जीवन भी आनलाईन की दौड़ में भाग रहा है। घर बैठे-बैठे अपनी मनपसंद चीजों को मंगा रहा है और बेच रहा है। अच्छी आनलाईन कंपनियों अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और मीशो का नाम आता है और सबसे अच्छी कंपनियों में केवल एक कंपनी है, जिसका नाम मीशो है। मीशो एक बेहतर कंपनी इसलिए भी है, क्योंकि मीशो में प्रत्येक प्रकार का सामान उपलब्ध है और प्रत्येक सामान का मूल्य अन्य कंपनियों से कम दामों पर मिल जाता है।
बहरहाल, बीते दिनों एक ग्राहक के द्वारा मीशो कंपनी से एयरपाॅड मंगाये गये। जिसका मूल्य 342 रूपये था और जिसका भुगतान गूगल-पे के माध्यम से किया गया। सबसे रोचक और अच्छी बात यह है कि एयरपाॅड के साथ मीशो कंपनी के द्वारा वारंटी कार्ड और 200 रूपये का कैशबैक का कूपन दिया गया। वारंटी कार्ड में लिखा हुआ था कि ‘‘वारंटी पंजीकरण के लिए कृपया 935****836 पर मिस काॅल दें।’’ वहीं दूसरी ओर कैशबैक कूपन पर लिखा था कि ‘‘अपने आर्डर पर पायें 200 रूपये, जल्दी करें! मिस काॅल दें और तुरंत कैशबैक पायें।’’
बहरहाल, आर्डर प्राप्त भी हो गया, कैश बैक कूपन भी मिल गया और जो-जो लिखा था, वो कर भी दिया। लेकिन न तो वारंटी का पता चला कि मिली है या नहीं और न ही कैश बैक मिला। हो सकता है कि हमारी हिन्दी कमजोर हो और हम तुरंत कैशबैक का मतलब नहीं समझ पाये, लेकिन अब पता चल चुका है कि तुरंत कैशबैक का मतलब होता है कि मीशो कंपनी ने आपको तुरंत बेवकूफ बनाया है। कैशबैक का मामला कुछ इस कदर तुरंत हुआ कि तुरंत बेवकूफ बनाने के लिए मीशो कंपनी से 935****836 के द्वारा काॅल की गयी। ग्राहक से ओटीपी पूछा गया और कहा गया कि कूपन को वट्सएप कर दें। यह भी कहा गया कि वारंटी से संबंधित जो पत्र है, उसे भी वट्सएप से भेज दें।
उसके बाद सारे काम तुरंत ही हुये, तुरंत ओटीपी आया और तुरंत बता दिया गया। तुरंत वट्सएप से जो-जो भेजना था भेज दिया और तुरंत मीशो से ग्राहक अर्थात देवभूमि समाचार के सम्पादक को बेवकूफ बना दिया। बहरहाल, बात 200 रूपये प्राप्त करने की नहीं थी और न ही वारंटी के चक्कर में अपना समय खराब करने की। बात केवल इतनी है कि क्या मीशो अपने सभी ग्राहकों को ऐसे ही बेवकूफ बना रहा है। मीशो ने ऐसे कर्मचारी अपने संस्थान में क्यों रखे हुये हैं, जो कि लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। ग्राहक से ओटीपी और वारंटी से संबंधित पत्र की फोटो मंगवाते है और ग्राहक की बातों का जवाब नहीं देते हैं। जो कि आप नीचे दिये गये स्क्रीनशाॅट में देख सकते हैं।
यदि इस मामले को कानून की नजर से देखें तो मामले के हिसाब से आईटी अधिनियम (साईबर ठगी/ क्राईम) के अन्तर्गत आता है। जिसमें धारा 66डी अर्थात साईबर ठगी, धारा 68 अर्थात इलेक्ट्राॅनिक रूप में गलत जानकारी प्रसारित करना आता है। यदि सामान बेचने वाले और खरीदने वाले के हिसाब से इस मामले को देखें तो उपभोक्ता फार्म भी बेवकूफ बनाने वाले को दण्डित कर सकता है। मीशो को भी सोचना चाहिए कि उसके कर्मचारी ग्राहकों को बेवकूफ बना रहे हैं। मीशो के या मीशो के कर्मचारियों के द्वारा किया गया यह कृत्य आनलाईन ठगी में आता है। अब देखना यह है कि क्या मीशो अपने कर्मचारियों को समझाता है या भविष्य में भी लोग ऐसे ही बेवकूफ बनते रहते हैं।
जल्द ही देवभूमि समाचार आपके सामने इस समाचार का वीडियो प्रसारित करेगा, इंतजार करें।
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