साहित्य लहर
जीवन की सीख…!
नवाब मंजूर
नील गगन से
सुबह सवेरे
आईं किरणें बहुतेरे
जागो मुन्ना!
छोड़ो बिस्तर
हो जा झट तैयार
कर जोड़ कर करो प्रार्थना
ईश की करो अराधना।
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फिर टेबल पर आकर बैठो
नाश्ता है तैयार
खाकर उठाओ बैग अपना
स्कूल समय से जाओ
मन लगाकर पढ़ोगे तो
बन जाओगे होशियार ।
ज्ञानी बनकर अपने ज्ञान से
दुनिया को महकाना।
उकसावे बहकावे में कभी
किसी के नहीं आना
सदा सच्चाई और सादगी से ही
जीवन अपना बिताना।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूरलेखक एवं कविAddress »सलेमपुर, छपरा (बिहार)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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