जीवन में आनंद ही आनंद

सुनील कुमार माथुर

व्यक्ति को हमेशा नेक दरियादिल होना चाहिए और अपना कर्म पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ सुचारू रूप से करना चाहिए । कुछ लोग आलसी प्रवृत्ति के होते हैं उनका कहना हैं कि जो हमारे भाग्य में लिखा हैं वहीं तो मिलेगा । इसलिए वे परिश्रम नहीं करते हैं । यह सोचना उचित नहीं है । यह ठीक हैं कि भाग्य में लिखा हैं उतना ही मिलेगा लेकिन हमें अपना कर्म भी तो करना चाहिए । कर्म करेंगे तभी तो फल मिलेगा अगर हम कर्म ही न करें तो क्या खाक मिलेगा ।

यह संसार तो एक मायाजाल हैं । यहां कोई सुखी नहीं है । कोई धन दुःखी है । कोई तन दुःखी है तो कोई मन दुःखी हैं तो कोई अपने स्वभाव से दुःखी हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि पूरी तरह से कोई भी सुखी नहीं है । येन केन प्रकारेण हर कोई दुःखी हैं । सुख की चाह भी अपने आप में दुःख का कारण हैं । याद रखिये हम से भी ज्यादा लोग दुःखी हैं । अतः दुखों की चिंता न करे । सुख – दुःख तो जीवन में आते रहते हैं लेकिन हमें हताश व निराश नहीं होना चाहिए ।

कुल मिलाकर यह कहना हैं कि फूलों की राह पर चलने से पहले हमें कांटों की राह पर चलना होगा । व्यक्ति अपनी सोच बदले , अपना नजरिया बदले । सबके साथ रहें और प्रभु की भक्ति में ध्यान रखें फिर देखिये जीवन में आनंद ही आनंद हैं गुण – दोष हर किसी में होते हैं लेकिन हमें सदैव अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए । कोई यह कहने कि यह संसार ठीक नहीं है तो यह कहना उस परमात्मा का अपमान होगा कि इस सृष्टि के रचयिता को संसार बनाना ही नहीं आता हैं सब अच्छा हैं बस हमारे प्रयास सही दिशा में होने चाहिए तभी हम अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच पायेंगे।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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