भूल सुधारने में ही भलाई
सुनील कुमार माथुर
किसी विध्दवान् ने सही कहा है कि जिसे मैं दूर से बहुत बडा समझता था , पास जाने पर वह छोटा दिखा और जिसे दूर से छोटा समझता था , वही पास जाने पर बडा निकला । कहने का तात्पर्य यह है कि कई बार हम भूलवंश यह गलती कर लेते है । लेकिन इंसान वही है जो गलती करने के बाद जब उसे गलती का आभास हो जाये तो उसे अपनी भूल सुधार लेना चाहिए।
इसी में हमारी भलाई है और इसी में हमारी महानता है । इंसान के पास ही तो सोचने समझने की शक्ति है जो उसे परमात्मा ने दी है । अतः व्यक्ति को समय रहते अपनी गलती को सुधार लेना चाहिए । समय आने पर तो बिगडा इंसान भी सुधर जाता है तो फिर भूल सुधारने में देरी क्यों ? उसे भी समय रहते सुधार लेना चाहिए।
हम तो उस परमात्मा के हाथों की कठपुतली है । वह जैसे नचाता है हमें उसी प्रकार नाचना पडता हैं । व्यक्ति को अपनी रचनात्मक गतिविधियों में समय के अनुसार परिवर्तन करते रहना चाहिए । तभी वह इस प्रतिस्पर्घा की दौड में अपना वर्चस्व कायम रख सकता हैं।
जो व्यक्ति कमजोर होता है और जिसे अपने आप पर विश्वास नहीं होता है वहीं व्यक्ति हिंसा का मार्ग अपनाता है । अतः व्यक्ति को अपने आप पर एवं अपनी रचनात्मक कार्यशैली पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए । चूंकि हमारा विश्वास ही हमारा आत्म बल हैं.
जीवन में दान पुण्य करते रहना चाहिए चूंकि दान पुण्य का भी जीवन में बडा ही महत्व है । लोग प्राय : यही कहते रहते हैं कि हमारे यहां तो दिन भर मांगने वाले आते ही रहते हैं , भला किसे किसे दें । लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि दिन भर मांगने वाले इसलिए आते हैं चूंकि परमात्मा ने तुम्हें देने लायक बनाया हैं अन्यथा क्या खाक देते ।हम किसी को कुछ भी नहीं दे सकते हैं तो कम से कम आशीर्वाद तो दे ही सकते है । इसमें कौन सा धन खर्च होता है । याद रखिए परिवार में हर वक्त हंसी ठहाके लगते रहने चाहिए न कि हंगामा होना चाहिए।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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