इंडियन पुलिस कितनी भ्रष्ट, कितनी मस्त…?

वीरेंद्र बहादुर सिंह

हलका खून हवलदार का। यह उक्ति हमारे यहां बहुत प्रचलित और लोकप्रिय है। इन दिनों गुजरात में राजकोट के पुलिस कमिश्नर मनोज अग्रवाल खूब चर्चा में हैं। विधायक गोविंद पटेल ने मनोज अग्रवाल पर वसूली का आरोप लगाया है। इसके अलावा वह हवाला का कारोबार संभालते हैं और इसके अलावा भी अनेक अन्य कारनामें करते हैं। जबकि कमिश्नर मनोज अग्रवाल का कहना है कि यह पदाधिकारियों की लड़ाई है।

जो भी हो, पर इस प्रकरण से पुलिस डिपार्टमेंट में करप्शन का इश्यू फिर एक बार फिर काफी चर्चा में है। इसके पहले महाराष्ट्र के मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमजीत सिंह भी वसूली को ले कर काफी चर्चा में रहे हैं। ऐसा ही आरोप छत्तीसगढ के निलंबित आईपीएस गुरजिंदरपाल सिंह पर भी है। ये तो गिनती के नाम हैं। न्यायालय की टिप्पणी के अनुसार 90 प्रतिशत पुलिस अधिकारी भ्रष्ट हैं।

हमारे देश में वैसे भी कोई सरकारी विभाग भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है। पर जहां सब से अधिक करप्शन है, उसमें पुलिस विभाग सब से आगे है। देश में सब से अच्छी पुलिस किस राज्य की है, इसका इंडेक्स इस तरह है। पिछले साल यानी 2022 में सब से अच्छी पुलिस में आंध्रप्रदेश टाप पर था। उसके बाद तेलांगाना, असम, केरल और सिक्किम की पुलिस अच्छा काम कर रही थी।

उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पंजाब की पुलिस इसके नीचे है। गुजरात का नंबर सातवां है। एक समय मुंबई पुलिस की गिनती बेस्ट पुलिस में की जाती थी, पर पिछले कुछ सालों से मुंबई पुलिस की छाप काफी खराब हुई है। पुलिस की सेवा के बारे में किया गया यह सर्वे बताता है कि देश में 69 प्रतिशत लोग ही पुलिस की सेवा से संतुष्ट हैं। 31 प्रतिशत लोग पुलिस की सेवा से संतुष्ट नहीं हैं।

हमारे यहां पुलिस की इमेज कैसी है? जहां तक हो सके इससे सेफ डिस्टेंस रखना ही ठीक है। हमारे यहां पुलिस फिल्म की तरह सब कुछ हो जाता है, तब प्रकट होती है। करप्शन की बात की जाए तो ज्यादातर लोगों ने कभी न कभी तो पुलिस को घूस दी ही होगी। कभी हेलमेट न पहनने की वजह से तो कभी लाइसेंस न होने की वजह से। गलत पार्किंग करने की वजह से पकड़े गए हों तो हम खुद ही समझ लेने की बात करते हैं। जुर्माने की रकम बचाने के लिए हम घूस यानी रिश्वत देते हैं।

घूस दे कर हम कहते हैं कि रशीद काटता तो पांच सौ का चूना लगता। इस तरह सौ रुपए में ही काम चल गया। पुलिस कर्मचारियों से करप्शन के बारे बात करें तो वे किस तरह बेवकूफी भरी बातें कर के अपना बचाव करते हैं कि ‘हमारा वेतन कितना कम है, पता भी है? हमारे क्वार्टर भी खंडहर हो गए हैं। हम रातदिन ड्यूटी करते हैं, यह तो किसी को दिखाई नहीं देता। हमारे नाम पर तरह-तरह के मजाक किए जाते है। मिक्स सब्जी की खोज पुलिस वालों ने ही की है। मार्केट से हर किसी के पास से एक-एक सब्जी ले कर सब्जी बनाई। उसी से मिक्स सब्जी की खोज हुई।

हमें भी पता है कि लोग हमारे पीछे किस-किस तरह की बातें करते हैं। लोग अपराध करते हैं, उनका कुछ नहीं। बचने के लिए खुद ही पुलिस से रिश्वत के लिए ऑफर करते हैं। एक पुलिस वाले का तो कहना था कि हम करप्शन करते हैं, पर उसमें भी थोड़ा ध्यान रखते हैं। ट्रैफिक के केस में या दूसरे किसी अन्य सामान्य मामले में कुछ ले कर रफा-दफा कर देते हैं, पर जहां न्याय की बात आती है, मतलब कि हत्या या दूसरा कोई गंभीर मामला होता है, तब हम अपराधी को छूटने का जरा भी मौका नहीं देते।

सभी पुलिस वाले खराब हैं, यह कहना उचित नहीं होगा। अच्छे पुलिस कांस्टेबल या अधिकारी भी हैं। पर इनकी संख्या बहुत कम है। भले ही कुछ भी कहा जाता हो, पर लोगों में अभी श्रद्धा तो है ही। दुनिया में सब से भ्रष्ट पुलिस किस देश की है, क्या इस बारे में आप को पता है? दुनिया की टाप टेन करप्ट पुलिस की सूची में केन्या, म्यांमार, ईराक, सोमालिया, सूडान, पाकिस्तान, हैती, अफगानिस्तान और मैक्सिको की है। इन देशों में बिना प्रसाद चढ़ाए पुलिस कोई काम नहीं करती।

अफ्रीकी देशों में गुजराती बड़ी संख्या में रहते हैं। युगांडा हो या तंजानिया, पुलिस इंतजार करती बैठी रहती है। कभी तो ऐसा लगता है कि वे ड्यूटी की वजह से बैठे हैं या रिश्वत के लिए बैठे हैं? अफ्रीकी देशों में मजेदार बात यह है कि पुलिस इंडियन या दूसरे देशों के लोगों पर ही नजर रखती है। क्योंकि रिश्वत तो आखिर उन्हीं लोगों से मिलनी है।

स्थानीय लोग तो इतने गरीब हैं कि उनके पास तो खाने का भी पैसा नहीं होता। अफ्रीकी पुलिस की यह भी मान्यता है कि तुम हमारा शोषण कर के पैसा कमाते हो तो उसमें से हम थोड़ा ले लेते हैं तो गलत क्या है? हर किसी के पास अपना लाॅजिक होता है। अपने फर्ज के साथ बेईमानी कर रहे हैं, ऐसा बिलकुल नहीं लगता।

चलो, अब थोड़ा दुनिया की बेस्ट पुलिस के बारे में भी बात कर लेते हैं। बेस्ट पुलिस में सब से टाप पर इंग्लैंड की पुलिस आती है। स्काटलैंड यार्ड पुलिस की डिस्पिलिन और पुलिस कर्मचारियों की निष्ठा का कोई जवाब नहीं है। दूसरे नंबर पर कनाडा की पुलिस आती है। कनाडा की पुलिस के बारे में कहा जाता है कि हर मामले को वह बहुत ही संवेदनापूर्वक और सहानुभूतिपूर्वक टेकल करती है।

इंग्लैंड और कनाडा के बाद नीदरलैंड, फ्रांस, जापान, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, चीन और इटली की है। चीन हमारा दुश्मन देश है, पर वहां की पुलिस की इमेज हमारे यहां की पुलिस की अपेक्षा बहुत अच्छी है। टाप टेन में दसवें नंबर पर इटली की पुलिस है। इटली के माफिया पूरी दुनिया में कुख्यात हैं।

माफिया पुलिस पर गोली चलाने में जरा भी नहीं हिचकते। माफियाओं को ध्यान में रख कर इटली की पुलिस को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। इटली की पुलिस फोर्स में तीन लाख से अधिक कर्मचारी हैं। इटली की पुलिस फोर्स युरोपीय यूनियन में सब से बड़ी है। एक समय अमेरिका की पुलिस सब से अच्छी मानी जाती थी। पर अश्वेतों पर अत्याचार के मामले सामने आने पर उसकी इमेज खराब हुई है।

भारत की बात करें तो यह भी हकीकत है कि दुनिया के दूसरे देशों की पुलिस अपेक्षा हमारे देश की पुलिस पर काम का बोझ बहुत अधिक है। काम करने का वातावरण भी पुलिस के लिए बहुत मुश्किल है। पुलिस के पास बेसिक साधन-सामग्री भी नहीं है। जबकि अपराधी ज्यादा से ज्यादा हाईटेक होते जा रहे हैं।

अपराधियों के पास स्पीड से भाग सकें, इस तरह के वाहन हैं। जबकि अभी भी ऐसे तमाम पुलिस थाने हैं, जहां ऐसी जीपे हैं, जो धक्का मार कर स्टार्ट होती हैं। हम भले ही किसी भी तरह की बात करें, पर हमारे यहां अभी अपराधी पुलिस पर हमला करने से डरते हैं। इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं होती। अभी हाल में आई एक रिपोर्ट यह कहती है कि देश में पांच लाख तीस हजार पुलिस कर्मचारियों की जगह खाली है।

यह संख्या मंजूर की गई संख्या का इक्कीस प्रतिशत है। मतलब कि हमारा पुलिस तंत्र इस समय 79 प्रतिशत से चल रहा है। कुछ मामलों में पुलिस रातदिन ड्यूटी में लगी रहती है। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि रिश्वत के आरोप एकदम झूठे भी नहीं हैं, पर अगर पुलिस को ठीकठाक वेतन और सुविधा दी जाए तो करप्शन निश्चित रूप से कम हो सकता है।

हमारा देश सुपर पावर बनने का सपना देख रहा है। पर एक हकीकत यह भी है कि जहां तक हम पुलिस की सुसज्जित, सक्षम और शक्तिशाली नहीं बनाएंगें, तब तक हमारा किसी तरह का भला नहीं होने वाला है। भारत में एक लाख लोगों पर 195 पुलिस काम कर रही है। इसमें से ज्यादातर पुलिस कर्मचारी वीआईपी और वीवीआईपी की सिक्योरिटी में ही लगी रहती है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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वीरेंद्र बहादुर सिंह

लेखक एवं कवि

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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