सरकारी स्कूल हुये जर्जर, जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी

सरकारी स्कूल हुये जर्जर, जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी, सरकारी मशीनरी की अनदेखी के चलते वे जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं। बारिश में छत से पानी टपक कर कक्षों में आ जाता है।

अल्मोड़ा। जिले में स्कूलों की बदहाली दूर होने का नाम नहीं ले रही है। सालों से जर्जर स्कूलों को ठीक करने के प्रयास नहीं हो रहे और विद्यार्थी इनमें जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं।

जिला मुख्यालय से महज छह किमी दूर स्थित जीआईसी स्यालीधार का भवन जर्जर है। विद्यालय भवन की छत जर्जर है तो दीवारों पर दरारें पड़ गई हैं, जिससे खतरा बढ़ गया है। जीआईसी स्यालीधार में बाड़ी, देवली, मटेला, सुनौला सहित आसपास के 15 से अधिक गांवों के 200 विद्यार्थी पढ़ने आते हैं।

सरकारी मशीनरी की अनदेखी के चलते वे जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं। बारिश में छत से पानी टपक कर कक्षों में आ जाता है। हैरानी की बात यह है कि स्कूल प्रबंधन अब तक इसकी मरम्मत और नवनिर्माण के लिए 10 से अधिक बार प्रस्ताव भेज चुका है जो सरकारी फाइलों में दम तोड़ रहा है। ऐसे में अभिभावकों को भी अपने बच्चों की चिंता सताने लगी है।

चहारदीवारी न होने से दिक्कत

अल्मोड़ा। जीआईसी स्यालीधार में विद्यार्थियों की सुरक्षा को पूरी तरह अनदेखा किया गया है। स्कूल में चहारदीवारी का निर्माण भी अब तक नहीं हो सका है, जिससे यह लावारिस जानवरों का अड्डा बन गया है। कई बार लावारिस जानवर यहां घुसकर विद्यार्थियों पर हमला कर रहे हैं। लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है।




जीआईसी स्यालीधार के जर्जर भवन के सुधारीकरण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। बजट मिलने पर ही यह संभव है।

प्रकाश सिंह जंगपांगी, खंड शिक्षाधिकारी, हवालबाग।

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सरकारी स्कूल हुये जर्जर, जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी, सरकारी मशीनरी की अनदेखी के चलते वे जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं। बारिश में छत से पानी टपक कर कक्षों में आ जाता है।

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