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सुप्रभात कोई साधारण शब्द नहीं

सुप्रभात कोई साधारण शब्द नहीं, ईश्वर की भक्ति में कितनी शक्ति है इसका आभास हमें तभी होता है जब हम किसी संकट, विपदा, परेशानी, दुःख को झेलकर उस संकट से बाहर आते हैं तब हम उस परमात्मा को धन्यवाद देते हैं कि हे प्रभु ! चलों संकट टल गया। हमें तो हर वक्त ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

सुप्रभात कोई साधारण शब्द नहीं है। व्हाट्सएप की दुनियां में सवेरे-सवेरे सुप्रभात के साथ दिन की शुरुआत होती हैं। हर व्यक्ति अपने अपने ग्रुप में शुरूआत सुप्रभात के साथ ही साथ सुंदर सुंदर वाक्य प्रेक्षित कर हमारे तनाव रहित जीवन की कामना करते हैं। इतना ही नहीं सुप्रभात के साथ मिलें महापुरुषों के प्रेरणादायक वाक्य हमारे जीवन में नव जीवन का संचार करते हैं।

वही दूसरी ओर हमारे जीवन में सकारात्मक सोच का संचार करते हैं। इसलिए सुप्रभात कोई साधारण शब्द नहीं है। इसी के साथ यह हमें एक-दूसरे से भावात्मक सोच से भी जोडता हैं और यह अहसास कराता है कि हमारा शुभ चिंतक अभी इस नश्वर संसार में जीवित है। लेकिन कतिपय लोग सुप्रभात को बेकार की समय बर्बादी कहते हैं। वे कहते है कि यह रिटायर्ड लोगों का टाईम पास का जरिया हैं।

खैर सबकी अपनी-अपनी सोच और अपना अपना नजरिया है। लेकिन हकीकत में सुप्रभात कोई साधारण शब्द नहीं है। यह बहुत ही अर्थ पूर्ण शब्द है जिसका अर्थ है कि सुबह से शाम तक आप प्रसन्नता पूर्वक, भाग्यशाली एवं तनाव मुक्त रहें। भला इससे बेहतर शुभकामनाएं और क्या हो सकती हैं।

आसान व कठिन – जीवन में परिवर्तनशील होना नितांत आवश्यक है। हमें समय के अनुसार चलना चाहिए। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम गलत को भी सही मान बैठे। गलत गलत ही रहेगा व सही सही ही रहेगा। अतः हर परिस्थिति में सत्य का साथ दीजिए। इस नश्वर संसार में विश्वास खोना बडा ही आसान है लेकिन विश्वास हासिल करना बडा ही कठिन है। इसलिए हमेशा सभी के साथ अच्छा व्यवहार करे और अपना विश्वास बनाए रखे।

किसी का विश्वास पाना कोई आसान काम नहीं है। इसे बनाने में काफी समय लगता है। हां, बहुत ही कम लोग होते है जो हर किसी पर आशानी से विश्वास कर लेते है़। किसी का हम पर विश्वास या भरोसा ही हमारी अमूल्य निधि है जिसे हमें हमेंशा बनाये रखना हैं। जिस दिन विश्वास खत्म हुआ, मानों सब कुछ खत्म हो गया।



मदद करते रहिए – जीवन की नैय्या पार लगाने के लिए हमें एक-दूसरे की मदद करते रहना चाहिए। जो दूसरों की मदद करता है, वही जीवन में आगे बढ पाता हैं। मदद करने से परिवार, समाज व राष्ट्र सदैव प्रगति की ओर बढता है। इसलिए मदद के हाथ कभी भी नहीं रूकने चाहिए। आपकी मदद ही जरूरतमंदो को उनकी प्रगति तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होती है।



किसी संत ने बहुत ही सुन्दर बात कही कि माटी से ईंट, ईंट से दीवार, दीवार से घर, घर से गली, गली से मौहल्ला, मौहल्ले से गां, गांव से शहर, शहर से समाज, समाज से राष्ट्र, राष्ट्र से विश्व का निर्माण होता हैं। ठीक उसी प्रकार हर घर में एक एक व्यक्ति परोपकार की भावना से ओत-प्रोत होकर कार्य करें तो राष्ट्र स्वत: ही अपनी ऊंचाइयों को छूने लग जायेगा। बस जरूरत है मदद का हाथ बढाने की।



साफ दिल – इंसान का दिल साफ होना चाहिए। चूंकि परमात्मा वहीं निवास करते है़ जहां ईमानदारी, परोपकार, निष्ठा, सहनशीलता, क्षमा, धैर्य, करूणा, ममता व वात्सल्य का भाव हो। साफ दिल का मतलब यह नहीं है कि हम किसी साबुन या डिटर्जेंट पाउडर से दिल को साफ करे अपितु इसका तात्पर्य यह है कि हमारे मन में किसी भी प्रकार के विकार या अवगुण न हो।



किसी भी प्रकार का छल कपट, धोखाधड़ी का भाव, ईर्ष्या, राग ध्देष न हो। क्रोध, हिंसा का भाव न हो। अपितु प्रेम का माहौल हो। जहां सर्वत्र गुण ही गुण दिखाई दे तभी कहा जाता है कि अमुक व्यक्ति दिल का साफ है और विश्वास करने लायक हैं कहा भी जाता है कि जिसका दिल साफ हो उसे मंदिर जाने की जरूरत नहीं है ऐसे व्यक्ति को तो भगवान स्वयं ही ढूंढ लेते हैं। इसलिए इंसान को किसी भी बुराई को अपने मन के पास नहीं भटकने देना चाहिए अपितु जो भी अवगुण हैं उनका भी त्याग कर देना चाहिए और आनंदमय जीवन व्यतीत करना चाहिए।



भक्ति में शक्ति – आप जब परमात्मा की भक्ति करते हैं तब वह कभी भी बेकार नहीं जाती है। चूंकि ईश्वर की भक्ति से ही हमें शक्ति, विश्वास, शांति, सहृदयता, धर्मपरायणता, नम्रता और विनम्रता जैसे भाव मिलते हैं और इंसान शांति के साथ प्रेम पूर्वक जीवन व्यतीत करता हैं।



ईश्वर की भक्ति में कितनी शक्ति है इसका आभास हमें तभी होता है जब हम किसी संकट, विपदा, परेशानी, दुःख को झेलकर उस संकट से बाहर आते हैं तब हम उस परमात्मा को धन्यवाद देते हैं कि हे प्रभु ! चलों संकट टल गया। हमें तो हर वक्त ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए। इसमें कुछ भी खर्च नहीं होता है अपितु मन को अपार शांति ही मिलती है़। इसलिए जब भी समय मिले तब ईश्वर का ध्यान अवश्य करे।


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सुप्रभात कोई साधारण शब्द नहीं, ईश्वर की भक्ति में कितनी शक्ति है इसका आभास हमें तभी होता है जब हम किसी संकट, विपदा, परेशानी, दुःख को झेलकर उस संकट से बाहर आते हैं तब हम उस परमात्मा को धन्यवाद देते हैं कि हे प्रभु ! चलों संकट टल गया। हमें तो हर वक्त ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

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