आज भी किसी चुनौती से कम नहीं हिन्दी पत्रकारिता
ओम प्रकाश उनियाल
न जाने कितनी चुनौतियों का सामना करते हुए हिन्दी पत्रकारिता उभरी। फिर भी एक ऐसा मुकाम हासिल किया हिन्दी पत्रकारिता ने जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। हिन्दी भाषा को आगे बढा़ने में हिन्दी पत्रकारिता विशेष योगदान है।
आज प्रतिस्पर्धा का युग है। अनेकों दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्विमासिक, त्रैमासिक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है। प्रकाशकों को हिन्दी अखबार, पत्रिकाओं के प्रकाशन में अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है।
इसके बावजूद भी हिन्दी पत्रकारिता अडिग है। यहां तक कि अन्य भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं को टक्कर दे रही है। 30 मई को हर साल पत्रकारिता दिवस मनाने का कारण भी हिन्दी पत्रकारिता ही है। सन् 1826 को इस दिन हिन्दी के पहले अखबार ‘उद्न्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन शुरु हुआ था। जिसके संपादक पंडित जुगल किशोर थे।
कलकता से इस अखबार की शुरुआत उस समय हुई थी जब अंग्रेजी, बांग्ला, उर्दू जैसे अखबारों का बोलबाला था। बेशक, इसका प्रकाशन अल्पावधि तक चला। लेकिन हिन्दी पत्रकारिता का द्वार हमेशा-हमेशा के लिए खोल गया। हिन्दी अखबारों के प्रकाशक व पत्रकार आज भी संघर्ष कर रहे हैं।
सरकारें हिन्दी अखबारों, पत्रकारों को बढ़ावा देने में अपने हाथ खींचती रहती हैं। कुछ भी हो, संघर्षशील होकर हिन्दी पत्रकारिता की मशाल को जलाए रखना है, पीत व चाटुकारिता पत्रकारिता से दूर रहना है, यह संकल्प पत्रकारिता दिवस पर लेना है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड) | Mob : +91-9760204664Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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