पर्यावरण संरक्षण कर्तव्य हमारा
सुनील कुमार
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से अलग उसका अपना कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता है। समाज का उत्थान और पतन मनुष्य की गतिविधियों का ही नतीजा होता है।अपनी लालची प्रवृति के कारण मनुष्य आदिकाल से ही प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करता चला आ रहा है जिसका परिणाम बाढ़, सूखा,भूकंप एवं सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के रूप में हमारे सामने है।
वृक्षों की अंधाधुंध कटान व बढ़ते औद्योगीकरण के कारण वायुमंडल के औसत तापमान में निरंतर बेतहाशा वृद्धि हो रही है। यह ताप वृद्धि ही भूमंडलीय ऊष्मीकरण अर्थात ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है।भूमंडलीय ऊष्मीकरण के कारण धरती के तापमान में निरंतर हो रही बेतहाशा वृद्धि न केवल मानव जाति बल्कि धरा के समस्त जीव धारियों के लिए खतरे की घंटी है।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि आज मनुष्य उस डाली को काटने पर आमादा है जिस डाली पर सुकून से बैठा है।आखिर हम यह क्यों नहीं समझ पा रहे कि प्रकृति,केवल हमारी आवश्यकताओं को ही पूरा कर सकती है, हमारी लालच को नहीं। प्रकृति के साथ निरंतर छेड़-छाड़ कर उसका संतुलन बिगाड़ कर हम स्वयं ही अपने भविष्य को संकटग्रस्त बना रहे हैं।
हमारी लालची प्रवृत्ति व नादानी के कारण पर्यावरण का संतुलन दिनों दिन बिगड़ता जा रहा है, जो हम सबके लिए कोई शुभ संकेत नहीं है। यदि समय रहते, प्रकृति के साथ हो रहे इस अत्याचार पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो परिणाम बड़ा ही भयावह होगा। हमें शीघ्र अति शीघ्र अपने कुकृत्यों पर रोक लगाना होगा,अन्यथा इस धरा से अपने अस्तित्व को मिटाने के जिम्मेदार हम स्वयं ही होंगे,कोई दूसरा नहीं।
पर्यावरण संरक्षण हेतु हम सघन वृक्षारोपण कर उनकी रक्षा का प्रण लेकर इस धरा को सुंदर और भविष्य को सुखद बना सकते हैं।प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों को खत्म करने या कम करने में अपना योगदान देकर समाज का एक जिम्मेदार नागरिक होने का अपना कर्तव्य निभा सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का सीमित उपयोग कर इसका संरक्षण कर सकते हैं।बस जरूरत है एक सकारात्मक पहल की,अपने पर्यावरण को बचाने की,एक बेहतर आज और सुंदर कल बनाने की।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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