साहित्य लहर

आचरण हो श्रेष्ठ

डॉ. कविता नन्दन

यह मनुज जो श्रेष्ठता का ढोंग है करता
नीचता के चरण पर धर शीष है मरता
वेश-भूषा साधु की शैतान बन जाए
दुष्टता, दुष्कर्म कर अभिमान है करता।

छीन कर सुख भाग संचित कर रहा है क्यों
बेबसों, निर्धन का श्रम-फल हर रहा है क्यों
किस तरह उसको कहोगे श्रेष्ठ, पुरुषोत्तम
पांव अनैतिकता के दर पर धर रहा है क्यों

सावन ने पानी बरसाया

कर रहा दोहन धरा का माँ कहे जिसको
पाप धोता डूब कर, पावन कहे जिसको
है नहीं नारी सुरक्षित जिसके शासन में
कर रहा है दाह, यह रावण कहे किसको।

यह पूजता पत्थर मगर इन्सान का दुश्मन
सभ्यता की बात करता असभ्य है तन-मन
नित नए षडयंत्र रचना है प्रकृति जिसकी
कुसंस्कारों का करेगा क्या कभी तर्पण ?

सोचिए क्या इस धरा पर आपका उपयोग
मिल गई यह ज़िन्दगी जो आपका संयोग
आचरण हो आपका ज्यों प्रेम का उपहार
त्रिकालदर्शी भी चकित हो देखकर सहयोग।

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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