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साहित्य लहर

गर्म तवे पर ठण्डा चन्द्रमा

गौरव हिन्दुस्तानी
(बरेली, उत्तर प्रदेश

आँगन में लगे
नीम की टहनियों से
झाँक रहा है,

उजियारी रात का
विस्मित चन्द्रमा
उतरना चाहता है
गाय के गोबर से
लिपे महकते आँगन में,

चखना चाहता है
कच्चे चूल्हे की
पकी रोटियाँ,
जो अम्मा बना रही है
दूधिया रात में,

हवा में हिलती टहनियों से
साफ नहीं दिखतीं
अम्मा की तवे पर
सिकतीं सफेद, सोंधीं
गोल रोटियाँ,

जो कभी – कभी प्रतीत
होतीं हैं चन्द्रमा को
दर्पण सी
आभास होता है कि
अम्मा बना रही है
गर्म तवे पर कोई
ठण्डा चन्द्रमां ।

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