क्या आप चारधाम के दर्शनार्थ आ रहे हैं…?

ओम प्रकाश उनियाल
हिमालय के आंचल में खिलखिलाता उत्तराखंड जितनी सुरम्यता समेटे हुए है उतनी ही आध्यात्मिकता भी लिए हुए है। देवी-देवताओं का वास रहा है इस भूमि में। तभी तो देवभूमि के नाम से जाना जाता है उत्तराखंड। यहां आने पर जो अनुभूति होती है, जो सुकून और शांति मन को मिलती है उसका वर्णन करना बमुश्किल है। हालांकि, विकास के नाम पर जिस प्रकार से यहां प्रकृति से लेकर अन्य हर चीज का दोहन होता आ रहा है इसके बावजूद भी यहां का धार्मिक महत्व कम नहीं हुआ है।
श्रद्धालुओं के मन में यहां के धर्म-स्थलों के प्रति जिस प्रकार से आस्था उमड़ती है उसे यहां के दर्शन को विवश कर देती है। यहां के प्रति धार्मिकता का गूढ़ अहसास तब होता है जब यात्रा के दौरान चप्पे-चप्पे पर धार्मिक-स्थल नजर आते हैं। जो कि अधिकतर निर्जन, एकांत स्थान पर होते हैं। यही कारण है कि सरकार भी उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। फिलहाल तो चारधाम यात्रा की शुरुआत होने जा रही है। जिसका शुभारंभ 30 अप्रैल से होगा, जिसमें 30 अप्रैल को ही गंगोत्री और यमनोत्री के कपाट खोले जाएंगे।
वहीं 2 मई को केदारनाथ और तो 4 मई को बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे। इसके बाद सिखों के प्रसिद्ध स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुलेंगे। हर साल की भांति इस बार भी चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। इसके लिए पंजीकरण मार्च माह से शुरु किए गए थे। सरकार की तरफ से धामों के अलावा यात्रा मार्गों पर भी तमाम व्यवस्थाओं को सुदृढ बनाने और सुचारू रूप से चलाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
यही नहीं इस बार यात्रा में इस बार यात्रा में शामिल होने वाले घोड़ों और खच्चरों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए विभाग ने विशेष कदम उठाए हैं। यात्रा के लिए घोड़ों और खच्चरों को पंजीकृत करने से पहले उनकी इक्वाइन इन्फ्लूएंजा और ग्लैंडर्स जैसी संक्रामक बीमारियों की जाँच अनिवार्य की गई है। केवल नकारात्मक जाँच रिपोर्ट प्राप्त करने वाले घोड़ों और खच्चरों को ही यात्रा के लिए फिट माना जाएगा। यदि कोई पशु बीमार पाया जाता है, तो उसे तत्काल क्वारंटीन किया जाएगा। क्वारंटीन के दौरान विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की निगरानी में पशुओं का इलाज और स्वास्थ्य सुधार किया जाएगा।
पशुपालन विभाग ने इस कार्य के लिए सात विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की एक समर्पित टीम तैनात की है, जिसे पैरामेडिकल स्टाफ का भी सहयोग प्राप्त होगा। क्वारंटीन सुविधाओं के लिए कोटमा और फाटा में केंद्र स्थापित किए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त क्वारंटीन केंद्रों के लिए किराए के भवन लेने की योजना भी तैयार की गई है। आप भी यदि उत्तराखंड आ रहे हैं, चाहे यात्रा के उद्देश्य से या फिर सैर-सपाटे के लिए, मर्यादा में रहकर यात्रा का आनंद लें। सुखद अनुभव साथ लेकर जाएं।