दोस्त सतीश कौशिक को याद कर इमोशनल हुए अनुपम खेर

दोस्त सतीश कौशिक को याद कर इमोशनल हुए अनुपम खेर… अनुपम कहते हैं कि मैं आप लोगों से इसलिए बात कर रहा हूं, क्योंकि मैं अपने दोस्त के जाने से दुखी हूं और इस बात से मैं बाहर नहीं आ पा रहा हूं। मुझे यह बात काए जा रही है कि…
नई दिल्ली। लाखों- करोड़ों लोगों को हंसाने, गुदगुदाने वाले सतीश कौशिक अब हमारे बीच नहीं रहे। 9 मार्च को एक्टर का कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया। अनुपम खेर और सतीश कौशिक की दोस्ती 45 साल पुरानी थी। अब इसपर विराम लग गया। पर अनुपम खेर, सतीश की यादों के सहारे जीवन को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उनका कहना है कि सतीश उनके जीवन का अहम हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। अनुपम खेर, सतीश कौशिक को याद कर एक बार फिर इमोशनल हो गए। इंस्टाग्राम पर उन्होंने वीडियो शेयर किया है।
अनुपम कहते हैं कि मैं आप लोगों से इसलिए बात कर रहा हूं, क्योंकि मैं अपने दोस्त के जाने से दुखी हूं और इस बात से मैं बाहर नहीं आ पा रहा हूं। मुझे यह बात काए जा रही है कि सतीश आज हमारे बीच नहीं है, क्योंकि 45 साल की दोस्ती बड़ी गहरी होती है। एक आदत सी हो जाती है। एक ऐसी आदत, जिसे आप छोड़ना नहीं चाहते हैं। और वो जबसे गया है तो मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा हूं। अनुपम ने आगे कहा कि आज मैं सोच रहा था कि खाना खाऊं, क्या खाना खाऊं। फिर अचानक से याद आया कि चलो सतीश को फोन करता हूं। मैंने फोन उठाया और उसे फोन करने ही जा रहा था कि याद आया।
मेरे लिए यह बहुत टफ है। क्योंकि 45 साल एक बहुत बड़ा समय है, किसी के साथ होने का। हम दोनों ने सपने साथ में देखे। हम दोनों ने साथ में जिंदगी की शुरुआत की थी। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हम दोनों साथ थे। समय था जुलाई 1975। इसके बाद हम साथ बैठते थे। वह डे स्कॉलर था, मैं हॉस्टलर था। उसके घर खाना- बैठना। फिर बॉम्बे वो पहले आ गया था, मैं बाद में आया। फिर हमने बहुत मेहनत की, इस मुकाम पर पहुंचे और कामयाबी हासिल की।
अनुपम ने कहा कि कई बार ऐसा होता था, जब हम दोनों एक- दूसरे से जलते भी थे, सड़ते भी थे, झगड़ा भी करते थे, पर फोन रोज सुबह 8 या साढ़े 8 पर हम दोनों एक- दूसरे को कर लेते थे। तो मेरा कल से किसी चीज में दिल नहीं लग रहा था, फिर मैंने सोचा कि मैं क्या करूं, क्योंकि मुझे इससे मूवऑन करना होगा। मेरे पिता का निधन हुआ, मैंने मूवऑन किया, आज सतीश नहीं है, इससे भी मुझे बाहर निकलना होगा।
क्योंकि जिंदगी हमें यही सिखाती भी है। फिर मैंने सोचा कि जो मैं मन में सोच रहा हूं, वो सब मैं आप लोगों के साथ शेयर करूं। तो मैं कुछ बेहतर महसूस कर सकूंगा। यह सब कहते हुए अनुपम रोने लगते हैं। खुद को संभालते हैं और आगे कहते हैं कि जिंदगी तो आगे बढ़ानी पड़ती है। मैं जिंदगी को आगे बढ़ा रहा हूं मेरे दोस्त सतीश, तुम हमेशा मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा बने रहोगे।
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