***
उत्तराखण्ड समाचार

94 साल का सफर : लक्ष्मण झूला, इतिहास और भावनाओं का संगम

अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण लक्ष्मण झूला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बन गया है। पर्यटक यहाँ गंगा नदी के मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हैं, योग और ध्यान करते हैं, और स्थानीय बाजारों से स्मृति चिन्ह खरीदते हैं। #अंकित तिवारी

11 अप्रैल 1930, यह वह तारीख है जो टिहरी के तपोवन और पौड़ी ज़िले को जोड़ने वाले लक्ष्मण झूला पुल के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी गई है। आज 94 साल बाद भी, यह पुल न केवल एक महत्वपूर्ण यातायात साधन है, बल्कि यह आस्था, संस्कृति और पर्यटन का भी केंद्र बन गया है।

इतिहास की झलक : स्वामी विशुदानंद की प्रेरणा से कलकत्ता के सेठ सूरजमल ने 1889 में इस पुल का निर्माण करवाया था। 1924 में बाढ़ में बह जाने के बाद ब्रिटिश सरकार ने इसका पुनर्निर्माण करवाया और 11 अप्रैल 1930 को इसे लोगों के लिए खोल दिया गया।

पौराणिक महत्व : हिंदू धर्म में लक्ष्मण झूला का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था। इसी कारण इस पुल का नाम लक्ष्मण झूला रखा गया। आस्था और संस्कृति का केंद्र : लक्ष्मण झूला न केवल एक पुल है, बल्कि यह आस्था और संस्कृति का भी केंद्र है। पुल के दोनों छोर पर भगवान राम और लक्ष्मण के मंदिर स्थित हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए आते हैं।

पर्यटन स्थल : अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण लक्ष्मण झूला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बन गया है। पर्यटक यहाँ गंगा नदी के मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हैं, योग और ध्यान करते हैं, और स्थानीय बाजारों से स्मृति चिन्ह खरीदते हैं। लक्ष्मण झूला केवल एक पुल नहीं, बल्कि यह इतिहास, भावनाओं, आस्था और संस्कृति का संगम है। 94 साल बाद भी यह पुल अपनी भव्यता और महत्व को बनाए हुए है, और आने वाले कई सालों तक यह लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना रहेगा।


यह लेख अंकित तिवारी, शोधार्थी , अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि द्वारा लिखा गया है।


Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights