बच्चे निर्भय होकर लेखन का कार्य करे : माथुर
बच्चे निर्भय होकर लेखन का कार्य करे : माथुर… इस अवसर पर डॉ वीभा शुक्ल ने कहा कि लड़कियां अन्याय के खिलाफ आवाज उठाये और अध्ययन के दौरान अपनी प्रतिभा के अनुसार सब्जेक्ट ले और अपना अध्ययन करे न कि अपने साथी की देखा-देखी सब्जेक्ट चुने।
जोधपुर / राजसमन्द। बच्चों का देश मासिक राष्ट्रीय बाल पत्रिका के रजत जयंती समारोह के अवसर पर अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी परिसर ( राजसमन्द ) में आयोजित तीन दिवसीय बाल साहित्य समागम के दूसरे दिन 17 अगस्त को बाल साहित्य संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। देश के 15 राज्यों से आये 90 साहित्यकारों ने 30 विद्यालयों के 5 हजार से भी अधिक बच्चों के साथ सीधा संवाद किया।
इस अवसर पर राजकीय माध्यमिक विद्यालय धोइन्दा, जिला राजसमंद में आयोजित बाल साहित्य संवाद कार्यक्रम में साहित्यकार सुनील कुमार माथुर ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि वे निर्भय होकर लेखन का कार्य करें। बच्चों से भरे खचाखच भरे हाल में माथुर ने कहा कि हर बच्चा प्रतिभावान होता है, बस आवश्यकता इस बात की है कि उनमें छिपी प्रतिभा को समय रहते निखारते रहना चाहिए।
माथुर ने कहा कि श्रेष्ठ साहित्य सृजन ही एक ऐसा कार्य है जिसमें अन्य रूचियों को निखारने की अपेक्षा सबसे कम खर्च आता है। अगर आप में लेखन के प्रति गहन रुचि है तो कलम उठाइये और बिना भय के अपनी बात व विचारों को जन जन तक पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका अदा करें। संवाद के दौरान साहित्यकार सुनील कुमार माथुर ने बच्चों द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।
इस अवसर पर डॉ वीभा शुक्ल ने कहा कि लड़कियां अन्याय के खिलाफ आवाज उठाये और अध्ययन के दौरान अपनी प्रतिभा के अनुसार सब्जेक्ट ले और अपना अध्ययन करे न कि अपने साथी की देखा-देखी सब्जेक्ट चुने।
डॉ परशुराम शुक्ल ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में बच्चों को कहानी, कविता, साहित्य के क्षेत्र की बारिकियां बताई और बच्चों की शंकाओं का समाधान किया। मंच का संचालन अणुविभा के प्रतिनिधि डॉ राकेश तैलंग ने किया। कार्यक्रम के आरंभ में विधालय परिवार की ओर से साहित्यकारों का तिलक लगाकर एवं दुपट्टा ओढा कर भाव भरा अभिनन्दन किया गया।