वाह रे, वाह मेरे डाक विभाग…!
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सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
भारतीय डाक विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग विभाग माना जाता है जो दुःख – सुख के समाचार जन जन तक पहुंचा कर आमजन के सुख दुःख बांटता हैं।मगर डाक विभाग ने हाल ही में डाकघर नियम 2024 जारी किये है जिसके अन्तर्गत बुक पोस्ट सेवा को बंद कर दिया है। डाक विभाग इससे पहले यू पी सी सेवा को भी बंद कर चुकी हैं।
अब बुक पोस्ट सेवा को बंद करने से प्रकाशकों व आमजन को बुक पोस्ट सामग्री भेजने से डाक विभाग ने वंचित कर उन पर आर्थिक भार लाद दिया है जिसका सभी प्रकाशकों को राष्ट्रीय स्तर पर विरोध करना चाहिए। डाक विभाग जनता-जनार्दन की सेवा के लिए न कि कोई व्यवसायिक प्रतिष्ठान। किताबों को अब रजिस्टर्ड पार्सल से भेजना मंहगा पडेगा जिससे किताबों के दाम भी बढ़ जायेगे।
इतना ही नहीं लिफाफों का अधिकतम भार दो किलों से घटाकर आधा किलों कर दिया। वही अब तक जो राखियां स्पेशल डाक से जाती थी उसे भी डाक विभाग ने बंद कर दिया और भाईयों की कलाई पर बहनें अब तक जो राखी बांधती आई हैं वह राखी भी समय पर सही सलामत पहुंच पायेगी या नहीं।
इसकी गारंटी पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया हैं अतः डाक विभाग जनहित को ध्यान में रखते हुए हाल ही में जो नये नियम जारी किये हैं वह वापस ले और जनता को आर्थिक भार से मुक्त करें एवं देश भर में जो डाक सेवा बिगड़ी हुई है उसमें सुधार करे ताकि जनता को समय पर डाक मिल सकें। समस्या समाधान चाहती है न कि दलगत राजनीति।
Nice article