महिलाएं मां दुर्गा का स्वरूप

सुनील कुमार माथुर
हमारे धर्म ग्रंथों में नारी को देवीतुल्य बताया गया हैं चूंकि उसमें सिंह जैसी शक्ति होती हैं । वह जितनी दयालु , शांत स्वभाव , करूणा व ममता एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है उतनी ही वह जरूरत पडने पर सिंह जैसी शक्ति स्वरूपा भी हैं । नारी की शक्ति को हम किसी भी रूप से कम करके नहीं आंक सकतें । घर – परिवार , समाज व राष्ट्र निर्माण में उसकी सशक्त भूमिका हैं । वह आज हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं तो कुछ क्षेत्रों में पुरूषों से भी आगें निकल गयी हैं ।
आज की नारी बच्चों को संस्कारित व शिक्षित करती हैं । रोजगार के क्षेत्र में कार्यरत रहकर घर – परिवार , समाज व राष्ट्र के प्रति अहम् भूमिका निभा रही हैं । वह अपनी पीडा को भूलकर घर – परिवार के लोगों की ही सहायता नहीं कर रहीं है अपितु हर किसी पीडित मानव व पशु-पक्षी की सेवा कर रही हैं जो वंदनीय और सराहनीय है ।
वास्तव में वह देवीतुल्य हैं जिसका आभास इसी बात से होता हैं कि वह सवेरे घर में सबसे पहले उठती हैं और रात्रि में सबसे बाद में सोती हैं और परिवार के हर सदस्य की फरमाइशें बिना किसी शिकवे – शिकायतों के पूरा करती हैं । उसकी भूमिका को कम करके आंकने का अर्थ होगा देवी मां का अपमान करना । वह तो गुणों की खान हैं । अगर उसके गुणों को गिनने बैठ जायें तो न जानें कितने पन्ने रंगने पड जायें ।
नारी ही वह शक्ति हैं जिसकी कार्यकुशलता की वजह से आज परिवार एकता के सूत्र में बंधा हुआ हैं यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है । नारी करूणा , ममता , स्नेह , प्यार दुलार व वात्सल्य की खान हैं । चुनौतियों से जूझना और उनसे निपटने की राह निकालना महिला के जन्मजात गुण हैं महिला को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता हैं । मां दुर्गा की सवारी शेर है इसलिए हर महिला को शेरनी की तरह निर्भीक, निडर व आत्मविश्वास से भरपूर होना चाहिए ।
आज महिला हर क्षेत्र में अहम् भूमिका निभा रही हैं फिर भी कई अवसर ऐसे आते हैं कि उसे कहीं न कहीं समझौता करना पडता हैं । यह सही है कि समय तेजी से बदला हैं । महिलाएं सशक्त भी हुई है । उन्हें देखने व समझने का नजरिया बदल रहा हैं लेकिन आज भी हम इस सच से नहीं भाग सकते कि हमारे समाज का एक तबका बेटियों को बोझ भी मान रहा हैं । आज समाज को महिला का महत्व समझना होगा और उनके सशक्तिकरण के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे ।
आज महिला गृहणी के रूप में जिस तरह से घर को चला रही है वह उसकी परिवार के प्रति समर्पण भाव और उसकी अनोखी कार्यकुशलता का ही परिणाम है जिससे नकारा नहीं जा सकता । जिस परिवार , समाज व राष्ट्र ने नारी की समाज व राष्ट्र के प्रति सशक्त भूमिका की उपेक्षा की उस समाज व राष्ट्र का सदैव पतन हुआ हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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