कहां से आ रहा मांस, नगर निगम और सेफ्टी विभाग अनजान

इस समाचार को सुनें...

कहां से आ रहा मांस, नगर निगम और सेफ्टी विभाग अनजान, नाम न छापने की शर्त पर कुछ मांस विक्रेताओं ने बताया कि दून में कोई व्यवस्था न होने के चलते वह खुद ही बकरे काटते हैं। जब भी निरीक्षण होता है तो वह दुकान का लाइसेंस और सहारनपुर…

पहले निगम का अपना स्लाटर हाउस था लेकिन अब वह बंद हो चुका है। अब बकरे कहां से कट के आते हैं, इसकी जानकारी नहीं है। शिकायत पर मांस की दुकानों का निरीक्षण किया जाता है। मांस में दुर्गंध मिलने पर उसे नष्ट किया जाता है। कई दुकानदार बाहर से मांस खरीदकर बेचने की बात कहते हैं। बाकायदा उनके पास खरीद की पर्ची भी होती है। हालांकि, लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग देता है तो उनकी जिम्मेदारी है कि वह मांस की गुणवत्ता जांचें।
– डॉ. डीसी तिवारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी नगर निगम

देहरादून। सावधान, अगर आप मांसाहारी हैं तो जान लीजिए। जो चिकन और मीट आप खा रहे हैं, वह विषाक्त या रोगग्रस्त हो सकता है। क्योंकि, देहरादून में नियमों को ताक पर रखकर मांस बेचा जा रहा है। नगर निगम को यह तक नहीं पता कि बकरे और मुर्गे कहां से आ रहे हैं और कहां काटे जा रहे हैं। दरअसल नगर निगम ने वर्ष 2016 में एक एक्ट बनाया था। जिसके तहत बकरे, भेड़ का स्वास्थ्य परीक्षण के बाद स्लाटर हाउस में ही उनके कटने का नियम था।

स्वास्थ्य परीक्षण में यदि बकरे अस्वस्थ, विकलांग पाए जाते तो उन्हें नहीं काटा जाता। इस नियम का उद्देश्य था कि लोगों को सुरक्षित और अच्छा मांस मिले। हालांकि, दून में बनाया गया स्लाटर हाउस वर्ष 2018 में बंद हो गया। जिसके बाद से दून में बिक रहा मांस कहां काटा जा रहा है और कहां से आ रहा है, इस पर किसी का ध्यान नहीं है। जो कि मांस के शौकीन लोगों के लिए चिंता की बात है। क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जो मांस आप खा रहे हैं वो आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक है या नहीं।

इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने भी नगर निगम से सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी थी लेकिन निगम कोई जानकारी नहीं दे पाया। उनका कहना है कि नगर निगम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। मांस की गुणवत्ता के सवाल पर निगम निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग एक-दूसरे पर दोष डाल रहे हैं। इन दोनों के बीच जनता पिस रही है। नगर निगम का कहना है कि दुकान का लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग देता है तो मांस की गुणवत्ता की जिम्मेदारी भी उनकी है। जबकि खाद्य सुरक्षा विभाग का कहना है कि नगर निगम ही दुकानों का निरीक्षण और चालान करता है।

इसलिए मांस को लेकर सारी जिम्मेदारी उनकी ही है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ मांस विक्रेताओं ने बताया कि दून में कोई व्यवस्था न होने के चलते वह खुद ही बकरे काटते हैं। जब भी निरीक्षण होता है तो वह दुकान का लाइसेंस और सहारनपुर आदि स्थानों से मांस की खरीद का फर्जी पर्चा दिखा देते हैं। नगर निगम अब मांस की दुकानों के लिए नया नियम बनाएगा। इसके तहत सभी मांस की दुकानों का नगर निगम में पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। निगम अधिकारियों का कहना है कि इससे दुकानों के निरीक्षण में भी मदद मिलेगी।

FRI में घूम रही मादा गुलदार, 15 जनवरी तक रोक

लाइसेंस देने का काम हमारा है लेकिन नियमित निरीक्षण का काम नगर निगम का है। यह निगम के एक्ट में भी शामिल है। क्योंकि हमारे पास पशु चिकित्सक नहीं होता। इसलिए सारी जिम्मेदारी नगर निगम की है।
– पीसी जोशी, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी

महिला कल्याण विभाग में महिला कर्मचारी से छेड़छाड़


👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।

कहां से आ रहा मांस, नगर निगम और सेफ्टी विभाग अनजान, नाम न छापने की शर्त पर कुछ मांस विक्रेताओं ने बताया कि दून में कोई व्यवस्था न होने के चलते वह खुद ही बकरे काटते हैं। जब भी निरीक्षण होता है तो वह दुकान का लाइसेंस और सहारनपुर...

डोभी नगर पंचायत में कड़ी सुरक्षा बीच 76℅ मतदान हुआ सम्पन्न

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar