मन एक मन्दिर

मन एक मन्दिर… मन को नियंत्रण में रखे। मन पर कंटो्ल रखे। उसे इधर उधर भटकने न दें। मन मंदिर से बुरे विचारों का समाप्त होना ही उसकी पवित्रता है। कभी भी किसी… सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

भावना अगर अच्छी हो तो हर कार्य अच्छा होता हैं। चूंकि मन तो एक मंदिर हैं। अतः इस मंदिर में सदैव पवित्र भाव होने चाहिए। सभी का मान सम्मान करें चूंकि न जाने कब ईश्वर किस रूप में हमारे सामने आकर हमारी परीक्षा ले रहे हो। यह पवित्र मानव जीवन हमारे पूर्व श्रेष्ठ कर्मो के कारण मिला है तब फिर अब बुरे कर्म क्यों करे। अब भी श्रेष्ठ ही कर्म करे। पाप से बचे और पुण्य कर्म करे।

जीवन को षनाना व बिगाडना हमारे ही हाथ में है तब फिर जीवन को बेहतर ही बनाये। यह मानव जीवन बार बार नही मिलता है। मन की पवित्रता ही हमारी सर्वश्रेष्ठ पूंजी है और इस पूंजी को सदैव बनाये रखना हैं अगर हमने इस सर्वश्रेष्ठ पूंजी को खो दिया तो समझों हमने सब कुछ खो दिया हैं। जीवन को श्रेष्ठ हम अपने अच्छे कर्मों से ही बना सकते हैं।

अतः जीवन में सदैव श्रेष्ठ कर्म ही करे। श्रेष्ठता सर्वत्र पूजी जाती हैं। तब फिर बुरे कर्म क्यों। ईश्वर के दर्शन श्रध्दा व भक्ति के साथ करे, तभी जीवन में मंगल ही मंगल हैं। आनंद ही आनंद है। अगर पूजा पाठ सच्चे मन से करे तो वही ईश्वर की सच्ची इ
उपासना हैं। भक्ति जितनी भी करे, वह कम हैं।

ज्ञान कभी भी समाप्त नहीं होता हैं और ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। ज्ञान तो हर क्षण बढते रहना चाहिए। जब भी समय मिले तब अपने ज्ञान का विस्तार करे। कभी भी यह न सोचे कि मैं सब जानता हूं। ऐसा सोचना मात्र ही अंहकार है। अतः असंभव कार्यों को भी सीखना चाहिए और यह सोचकर सीखों कि आज तो मुझे यह कार्य आता नहीं है लेकिन मैं प्रयास करुं तो इसे सीख सकता हूं. नयी जानकारी हासिल करने में कोई भी बुराई नहीं हैं अपितु किसी नवीनतम जानकारी को न सीखना बुरी बात है।

मन को नियंत्रण में रखे। मन पर कंटो्ल रखे। उसे इधर उधर भटकने न दें। मन मंदिर से बुरे विचारों का समाप्त होना ही उसकी पवित्रता है। कभी भी किसी भी बात को जलेबी की तरह गोल गोल घूमाकर न करे अपितु पूरी ईमानदारी से सत्य बात कहे, चूंकि सत्य में बडी ताकत होती हैं व सत्य की सदा जीत होती हैं। हमारे बडे बुजुर्गो का कहना है कि तर्जुबा अपने आप में एक पाठशाला हैं चूंकि तर्जुबे से भी हम बहुत कुछ सीखते हैं।


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मन एक मन्दिर... मन को नियंत्रण में रखे। मन पर कंटो्ल रखे। उसे इधर उधर भटकने न दें। मन मंदिर से बुरे विचारों का समाप्त होना ही उसकी पवित्रता है। कभी भी किसी... सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

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