वक्त की ठोकरें
वक्त की ठोकरें, कहने का तात्पर्य यह हैं कि जो पर्याप्त है वही सत्य हैं सत्य को हम कभी भी झूठला नहीं सकते। बच्चों से प्रेम, लाड प्यार, दुलार जरूर कीजिये लेकिन इतना भी नहीं कि यहीं लाड प्यार और… जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…
व्यक्ति को अपने धन पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। चूंकि पैसा आज हैं तो कल नहीं। वैसे भी कहते है कि लक्ष्मी चलायमान है। यह कभी भी एक जगह टिकती नहीं हैं। कोई कहता है कि धन हाथ का मैल हैं। खैर कुछ भी हो हमें धन दौलत पर इतराना नहीं चाहिए। धन से हम हर चीज नही खरीद सकते।
पैसों से हम रोटी, कपडा, मकान, गाडी, बंगला, भौतिक सुख सुविधाएं खरीद सकते है लेकिन धन से सुख शांति, अमनचैन, नींद, प्रेम, स्नेह, भाईचारा, धैर्य, संयम, सहनशीलता को नहीं खरीद सकते। अतः धन पाकर कभी भी घमंड व अंहकार नहीं करना चाहिए। आप जो भी कार्य करते है उसके फल का अहसास वक्त आने पर आपकों अपने आप महसूस हो जाता हैं।
कहने का तात्पर्य यह हैं कि जो पर्याप्त है वही सत्य हैं सत्य को हम कभी भी झूठला नहीं सकते। बच्चों से प्रेम, लाड प्यार, दुलार जरूर कीजिये लेकिन इतना भी नहीं कि यहीं लाड प्यार और दुलार उसे बिगाड दें और वह बचपन में ही बिगड जायें। अतः बच्चों को लाड प्यार व दुलार के साथ ही साथ आदर्श संस्कार भी दीजिये ताकि बाद में आपको पछताना न पडे।वैसे तो वक्त की ठोकरें इंसान को जीवन में बहुत कुछ सीखा देती हैं।
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