हुनर बाज पहचान के मोहताज नहीं होते

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आजमगढ़। कहते हैं कि हुनर बाज किसी के मोहताज नहीं होते अगर हुनर हो तो इंसान अपने हुनर के दम पर कुछ भी हासिल कर सकता है। कुछ इसी तरह आजमगढ़ अंबारी भटपुरवा गाँव से शिवम गुप्ता जी ने कर दिखाया है कम आयु में स्नातक की पढ़ाई के साथ-साथ शिवम अपने कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसी भी व्यक्ति के तस्वीर को या किसी भी वस्तु को देखकर हूबहू पेंसिल के माध्यम से उस चित्र को सादे पेपर पर उतारने में बेहद सक्षम है। इनके इस अनूठे कला को लोग बेहद पसंद कर रहे हैं अब तक इन्होंने सैकड़ों पेंसिल स्केच बना कर अपना नाम गाँव शहर तक फैला चूके है और लगातार एक बेहतरीन मंजिल की तलाश में अपने हुनर को बड़े स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रयासरत है।

अपने इस हुनर के दम पर किसी भी स्क्रैच को चुटकियों में बना सकते हैं ऐसे हुनरमंद को सरकार पहचान करके सुविधा मुहैया कराएं जिससे अन्य बच्चें जागरूक हो और अपने अंदर के हुनर को दुनिया के सामने लेकर आये। अब जरूरत है तो ऐसे कला को जिला एवं प्रदेश स्तर पर बढ़ावा देने की जिससे कलाकारों/चित्रकारों एवं स्केच डिजाइन को मदद मिल सके एवं उनका हौसला बढ़ाया जा सकें।

अपने हौसले के दम पर दुनिया जीतते रहो,
करो कुछ ऐसा कमाल की दिल जीतते रहो।
कोशिश करने वालों को ही ताज मिलती है,
अपने हुनर को पहचान स्पर्धा जीतते रहो।।

कवि/लेखक महेश गुप्ता जौनपुरी के द्वारा एक मुक्तक के माध्यम से उन सभी हुनर बाजों के लिए जो अपने हुनर से लोगों के दिलों पर राज करते हैं एवं समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं यह मुक्तक उन सभी को समर्पित करता हूँ एवं आग्रह करता हूँ कि अपने हुनर के माध्यम से एक बेहतरीन आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें।

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