व्यंग्य : न होटल न ढाबा, बन जाओ बाबा | Devbhoomi Samachar™
October 19, 2025

1 thought on “व्यंग्य : न होटल न ढाबा, बन जाओ बाबा

  1. भगवा वस्त्र पहनने से कोई साधु संत नही बनता और भाषणबाजी करने से कोई नेता नही बनता हैं लेकिन इस हिन्दुस्तान में जो चापलूसी करता है किसी को मूर्ख बना सकता है वह बाबा तो क्या भगवान तक बन सकता हैं चूंकि हमारे देश मे अंध भक्तों की कोई कमी नहीं ।

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