साहित्य लहर
पूस की रात
सुनील कुमार
कोहरे की चादर से देखो ढकी तराई है
सूरज की किरणें भी धरती पर न आई हैं।
पहाड़ों पर हो रही है भीषण बर्फबारी
सर्द हवाओं का सितम भी है जारी।
ठंड के चलते लोग घरों में हैं दुबके
चौराहों पर अब अलाव कम है जलते।
सुकून से कटता न तो दिन न ही रात है
कितनी बेदर्द पूस की ठंड भरी रात है।
तन ढकने को न कंबल न ही रजाई पास है
इस भीषण ठंड में बस प्रभु की ही आस है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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