साहित्य अर्पण अंतरराष्ट्रीय मंच पर काव्य गोष्ठी का आयोजन

साहित्य अर्पण अंतरराष्ट्रीय मंच पर काव्य गोष्ठी का आयोजन… आयोजन का मुख्य आकर्षण- संजीव वर्मा सलिल जी की रचना रही जिसमे सलिल जी ने सभी रचनाकारों के नाम अपनी काव्य लेखनी से मानो एक धागे में पिरो दिया हो।

साहित्य के क्षेत्र में कम समय में ही अपनी वरिष्ठ पहचान बनाने वाले अंतराष्ट्रीय मंच साहित्य अर्पण पर 24 मई को काव्य अभिव्यक्तियां काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन हुआ यह आयोजन साहित्य अर्पण के यू ट्यूब चैनल व फेस बुक पेज पर सीधा प्रसारण था रचनाकारों की काव्य अभिव्यक्ति ने कार्यक्रम में जम कर रंग जमाया कार्यक्रम प्रसारण से पूर्व अक्स जी की शुभ कामना संदेश और पूनम पालियाल जी के स्वर सरस्वती वंदना ने मंच को अति उत्साहित किया।

आयोजन के मुख्य अतिथि थे आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी संग अतिथि कवि गण आदरणीया सरोज अग्रवाल जी, आदरणीय शिव दत्त शर्मा जी, आदरणीय गोविंद शाडिल्य जी, आदरणीया मौसमी चंद्रा जी थे। साहित्य अर्पण के टीम मेम्बर्स सीमा शर्मा जी (मंच संचालिका), विनीता लवानिया जी ( समीक्षिका), सोनिया गोयल जी(मीडिया कार्यकर्ता) पूनम बागड़िया (मीडिया रिपोर्टर) कार्यक्रम का शुभ आरंभ साहित्य अर्पण मंच की संस्थापिका नेहा शर्मा जी (दुबई) ने सभी रचनाकारों का स्वागत उनके छोटे से परंतु दमदार साहित्यिक परिचय देते हुए किया।

कार्यक्रम को आदरणीय शिवदत्त शर्मा जी ने अपने सुंदर प्रणय गीत “प्यार दामन में भर कर चले आइए” का श्रवण करा कर सब को मंत्र -मुग्ध करते हुए आयोजन को आगे बढ़ाया तत् उपरांत उनकी विरह रचना ने भी हृदय को स्पर्श किया। कोलकाता की रचनाकारा मौसमी चंद्रा जी की रचना “धूप” की गर्माहट ने काव्य का माहौल गरमाया वही उनकी दूसरी रचना “मन मौन है” ने मन मोह लिया आदरणीया सरोज अग्रवाल जी की रचना “मेरे छोटे छोटे ख्वाब” व नेहा जी, पूनम बागड़िया का “व्यथा -विसर्जन”, सोनिया गोयल जी की प्रथम रचना “वो”और डॉ० गोविंद नारायण जी के काव्य पाठ “रोज रात को चंदा आता है” ने श्रोताओं को आनंदित किया।

आयोजन में उपस्थित साहित्य अर्पण टीम मेम्बर्स ने अपने कार्य को बखूबी अंजाम दिया मंच संचालन की कला से सीमा शर्मा जी ने मन मोहया तो विनीता लवनिया जी की प्रत्येक समीक्षा कबीले तारीफ रही जो रचनाकारों की रचना पर सटीक थी। आयोजन का मुख्य आकर्षण- संजीव वर्मा सलिल जी की रचना रही जिसमे सलिल जी ने सभी रचनाकारों के नाम अपनी काव्य लेखनी से मानो एक धागे में पिरो दिया हो। रचना इस प्रकार थी।

सबका हित जिससे सधे, सृजें वही साहित्य।
गागर में सागर भरें, हो रचना आदित्य।।
नेहा नदिया बन बहे, भाव सलिल अविराम।
छटा मौसमी घोल दे, रंग अनेक ललाम।।
बुद्धि विनीता की नहीं, सीमा सोच नवीन।
काव्य कामिनी कर गहे, कवि मति अव्यल तीन।।
शब्द सोनिया लय विलय, रस सरोज शुभ सत्य।
पूनम नम मन-वृत्ति कर, सुंदर रच दें नित्य।।
शब्द ब्रह्म शिवदत्त है, क्षर-अक्षर गोविंद।
सुनें जीव संजीव हो, श्वास आस नव छंद।।

इतनी खूबसूरत पंक्तियों के लिए मै और टीम साहित्य अर्पण आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी का धन्यवाद करना चाहते हैं तथा सफल आयोजन की सभी को शुभकामनाएं धन्यवाद।

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साहित्य अर्पण अंतरराष्ट्रीय मंच पर काव्य गोष्ठी का आयोजन... आयोजन का मुख्य आकर्षण- संजीव वर्मा सलिल जी की रचना रही जिसमे सलिल जी ने सभी रचनाकारों के नाम अपनी काव्य लेखनी से मानो एक धागे में पिरो दिया हो।

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