साहित्य लहर
कविता : दीवाना पंछी पेड़ में बेठा
राजेश ध्यानी
दीवाना पंछी
पेड़ में बेठा
कुहू कुहू चिल्लाये ,
हवा ने उसका
साथ दिया
दिवानी तक पहुंचाये।
दीवानी भी
रह ना पायें
टुकुर टुकुर कर बेठी
दीवाने को
खबर कौन दे
न्योता वो कर बेठी।
चतुर काग ने
चलदी चाल
मिलना इनका
ना हो पाये।
घर उजांडू पहले इनका
घर में ही खो जाये।
घर बिना
उड़ने लगे
कुहु टुकुर
करते हये ,
एक ड़ल पर बेठ गयें।
आंखों से आंसू गिरें?
कागा की ना सोच
मिलकर लाते हें तिनका
हंस कर दोनों
उड़ गये।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From » राजेश ध्यानी “सागर” वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखक Address » 144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449 Publisher » देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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