कविता : शहर के अंधेरे में
राजीव कुमार झा
रात की रोशनी में
तुम घर से निकलकर
आफिस के सामने से
कहां जा रही हो
शायद देर शाम
कामकाज निबटा कर
घर की तरफ
चल पड़ी हो
यहां अंधेरा रोशनी से
गुलज़ार हो उठा
आगे रात का आंचल
सड़क के पास
काफी वीरान हो गया
शहर में शाम से
शुरू हुआ
भागदौड़ का वक्त
खत्म हो रहा
हवा में हल्की ठंडक
भर गयी
दीपावली पास आ रही
अंधेरे में आलोक का
दीया
जब तुम जलाओगी
प्रेम की लौ में
रोशनी हर तरफ
दिखाओगी
तुम कहां जा रही
शहर के अंधेरे में
थोड़ी रोशनी
खामोशी में खूब भा रही
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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