मां का आंचल ममता का सागर

सुनील कुमार माथुर
इस नश्वर संसार में आज हर कोई मशीनरी जीवन व्यतीत कर रहा हैं और धन- दौलत के पीछे दौड रहा हैं । न दिन देखता हैं और न ही रात । बस हाय धन ! हाय धन ! कर रहा हैं । धन की चकाचौंध में इंसान इतना अंधा हो गया हैं कि वह क्या सही हैं और क्या गलत हैं यह भी नहीं देख रहा हैं । उसे तो बस धन चाहिए ।
देश में आज जो भ्रष्टाचार की गंगा बह रही हैं वह आदर्श संस्कारों की कमी का ही परिणाम है । आज हम अपनी सभ्यता और संस्कृति व नैतिक मूल्यों को जानबूझ कर भूलते जा रहें है चूंकि धन – दौलत की चकाचौंध ने सबको पराया कर दिया । यहां तक की अनेक लोग अपने माता – पिता को भी अपने पास नहीं रख रहें है और उन्हें वृध्दाश्राम में छोड रहें है । यह एक दुखद पहलू ही कहा जा सकता हैं ।
इस नश्वर संसार में सभी स्वंय भी चैन से रहे और दूसरों को भी चैन से रहने देना चाहिए । किसी के भी जीवन में एवं कार्य में अनावश्यक बाधा ना डालें । जहां भी रहें स्वस्थ रहें और मस्त रहें व दूसरों को भी इसी प्रकार रहने दीजिए । जहां प्रेम व स्नेह हैं, वही तो स्वर्ग है ।
आपके श्रेष्ठ विचार , श्रेष्ठ सोच व श्रेष्ठ आचरण यही तो आपकी अमूल्य निधि हैं । यही आपकी श्रेष्ठता की पहचान हैं सदैव खुशियां बांटते चलें चूंकि खुशियां तो बांटने से ही बढती हैं । आपकी खुशहाली ही आपके जीवन का असली आनंद हैं । मां का आंचल तो ममता का सागर हैं । तभी तो मां से बडा तो भगवान भी नहीं है । हमारे माता – पिता व गुरू ही हमारे भगवान हैं और वे ही हमारे सुख के सागर हैं ।
जो लोग अपने माता पिता का सम्मान नहीं करते हैं वे इस धरती पर चलती – फिरती जिंदा लाश के समान हैं व उनकी समाज में कोई इज्जत नहीं हैं । अतः माता – पिता का मान सम्मान करें । उनकी हर आज्ञा का पालन करें । वृध्दावस्था में उनके पास बैठे और उन्हें पर्याप्त समय दीजिए । आपका यह थोडा सा वक्त भी उनके जीवन को खुशहाल बना सकता हैं और उनकी आंखों में एक नई आशा की किरण पैदा कर सकती हैं और उनकी निराशा में आशा की किरण बनें । आपका सद् व्यवहार ही आपकी पहचान हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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