साहित्य लहर
चाँद

बालकृष्ण शर्मा
ऐ चाँद तू क्या क्या हो गया है,
ऐ चाँद तुझमें क्या क्या छिपा है,
महबूबा का चेहरा कोई ढूँढ़ता है,
कोयी प्रेमिका की छवि खोजता है।
ऐ चाँद तुझमें क्या क्या छिपा है,
दिखती है जीवन संगीनी किसी को,
कोयी पड़ोसन को ढूँढ़ता है।
ऐ चाँद तुझमें क्या क्या छिपा है
खो गई है प्रिय सखी किसी की,
कोयी महबूब को खोजता है।
ऐ चाँद तुझमें क्या क्या छिपा है
कोयी अपनी ही छवि खोजता है,
किसी को देवता की आरजू है।
ऐ चाँद तू क्या क्या हो गया है,
ऐ चाँद तुझमें क्या क्या छिपा है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »बालकृष्ण शर्मालेखकAddress »बी-006, रेल विहार सीएचएस, प्लॉट नं. 01, सेक्टर 04, खारघर, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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