अपनी पहचान आप बनायें

अपनी पहचान आप बनायें, जहां जीवन में ऐसी सोच हो वहीं तो आशा, विश्वास, लगन, निष्ठा की नींव खडी होती हैं और यह नींव इतनी मजबूत होती है कि इसे किसी भी प्रकार… जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…
जीवन में जब हम सफलता की सीढियां चढते हैं तो मार्ग में अनेक बाधाएं और कठिनाईयां आती हैं। अनेक उतार चढाव आते हैं लेकिन हमें इनसे घबराना नहीं चाहिए अपितु इन्हें सफलता पूर्वक पार कर जो अपनी मंजिल की ओर बढ जाता हैं वही व्यक्ति जीवन में अपनी पहचान स्वंय बना पाता हैं।
दूसरों के सहारे हम कब तक अपनी पहचान बनाये रखेंगे अपितु हमें अपनी पहचान आप बनानी होगी और इसके लिए हमें पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ आगे बढना होगा और कठिन परिश्रम करते हुए निष्ठा के साथ अपना परिश्रम पसीने के साथ बहाना होगा। हां पसीना बहता है वहीं अपनी पहचान आप बनती हैं और एक नया इतिहास रचा जाता हैं। चूंकि हमें जीवन में कभी भी दूसरों की नकल नहीं करनी चाहिए अपितु अपनी पहचान आप बनानी चाहिए।
जहां जीवन में ऐसी सोच हो वहीं तो आशा, विश्वास, लगन, निष्ठा की नींव खडी होती हैं और यह नींव इतनी मजबूत होती है कि इसे किसी भी प्रकार की शंका रुपी हथौड़े से नहीं तोडा जा सकता। चूंकि ईमानदारी की दीवार पसीने रूपी जल और लगन, निष्ठा रूपी सीमेंट, ईंट, पत्थर व गारे कि बनी होती है कि उसे तोडना लोहे के चने चबाना ही कहा जा सकता हैं। अतः प्यार मौहब्बत से बनी इस दीवार को तनिक भी आंच न आने दे।
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