जीवन को मंगलमय बनाओ और मंगलमय जीवन जीओ
सुनील कुमार माथुर
हमें प्रति दिन सुबह शाम ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। भक्ति मार्ग हमें जोडना सीखाता है तोडना नहीं। भगवान से मांगे तो सबके लिए मांगें। आज व्यक्ति अपने दुःख से दुखी नहीं है बल्कि दूसरों के सुख से अधिक दुखी है। जिसका हृदय विशाल होता है उसी के हृदय में प्रभु विराजते है। जीवन को मंगलमय बनाओं और मंगलमय जीवन जीओ। अगर आप को कभी क्रोध आये तो पांच मिनट के लिए मौन हो जाइये। आपका यह पांच मिनट का मौन ही आपकी जिन्दगी को संवार देगा।
क्रोध में लिया गया निर्णय हमेशा नुकसानदायक होता है । आज बच्चा रोता है या शरारत करता है तो माता पिता उसे खिलौने नहीं देते है अपितु हाथ में मोबाइल थमा देते है । मौबाइल बच्चों को न दे चूंकि इससे बच्चों की आंखें कम उम्र में ही कमजोर हो जाती है । खिलौनों की जगह खिलोने ही दे व अधिक शरारत करें तो थप्पड़ दे । बच्चा अपने आप सही राह पर आ जायेगा ।
दुनिया में बडा बनना है तो फिर छोटा बनना सीखो । हमें न लोक चाहिए न परलोक चाहिए, हमें तो बस हमारा प्रभु चाहिए । भक्ति नि स्वार्थ भाव से होनी चाहिए । मां बाप की सेवा करना हमारा कर्तव्य है । उन्होंने बचपन में हमें पालपोष कर बडा किया व पढा लिखा कर योग्य नागरिक बनाया । अब हमारा समय आया है कि हम बुढापे में उनकी सेवा करें । उनका ध्यान रखें कि उन्हें वृध्दावस्था में हमारे रहते उन्हें कोई दुःख न हो । इस सेवा में कोई स्वार्थ नहीं होना चाहिए ।
जीव जमीन पर ही जन्म लेता हैं और अन्त में मिट्टी में ही मिल जाता है । इस नश्वर संसार में कोई किसी का नहीं है । मरने के बाद कोई भी साथ नहीं चलता है । अगर कोई साथ चलते हैं तो हमारे कर्म साथ चलते हैं । इसलिए सदैव सत्कर्म करें सत्य बोलें । सभी के साथ घुल-मिल कर प्रेम पूर्वक व्यवहार करें । जो इस नश्वर संसार में आया है वह एक न एक दिन अवश्य ही जायेगा तब फिर रोना धोना क्यों बच्चों को संस्कार अवश्य दीजिए ।
अगर नन्हा बालक खिलोने के लिए रो रहा है और आप उसको खिलौने नहीं देते है तो हो सकता है कि वह घंटा दो घंटे रोकर चुप हो जाये लेकिन आपने बच्चों को संस्कार ही नहीं दिये तो वह जिन्दगी भर रोयेगा । अतः बच्चों को अच्छे संस्कार अवश्य दीजिए । जिसके पैर में कांटा चुभता है वही जानता है कि पीडा क्या होती हैं । जो नालियों में अन्न बहाये उसे क्या पता कि दो वक्त की रोटी की कीमत क्या होती है । अतः सदैव मस्त रहे और उस परमपिता कि भक्ति में लीन रहो। अगर कोई व्यक्ति प्यासा हैं तो प्यास क्या होती है यह वही व्यक्ति जानता है । ठीक उसी प्रकार जो व्यक्ति प्रभु की भक्ति में लीन हो जाता है फिर उसे परमात्मा के अलावा के कुछ भी दिखाई नहीं देता है।
परमात्मा का स्मरण जीवन में हर वक्त करते रहना चाहिए । चूंकि भक्ति एक दिन में नहीं आती है अनन्य भक्ति होनी चाहिए । भगवान के चरणों में ही हमें अपना जीवन अर्पित कर देना चाहिए । आप निस्वार्थ भाव से तपस्या कीजिए । व्यक्ति को व्यर्थ के प्रपंच में नहीं पडना चाहिए और सदैव प्रभु का स्मरण करते रहना चाहिए । प्रभु की कथा सुनने से हमारे मन में जो बुरे विचार होते हैं वे न जाने कब बाहर निकल जाते है और हमारा मन पवित्र हो जाता है और हमें पता भी नहीं चल पाता है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|
Nice article
Nice
Nice
Nice 👌
Nice article
Nice article
Nice
Wow nice article 👍
Awesome article
Nice one 👌
Nice 👍
Nice article