झुकना सीखें, अकडना नहीं

झुकना सीखें, अकडना नहीं… जो व्यक्ति अकड में रहता हैं वह न केवल दूसरों का ही नुकसान करना है अपितु स्वंय का भी नुकसान करता हैं। इसलिए झुकना सीखें, अकडना नहीं। घमंड में हमेंशा हानि ही होती है। ✍🏻 सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

आदमी को वृक्षों से बहुत सीखना चाहिए। वे हमें ठंडी ठंडी हवा, फल, फूल, हरियाली, ताजगी, छाया वगैरह वगैरह देते हैं। ठीक उसी प्रकार इंसान को पूजापाठी, दयावान, करूणामय, परोपकारी, धैर्यवान, चरित्रवान, सहनशील व संस्कारवान जैसे गुणों से सम्पन्न होना चाहिए।

वृक्ष जैसे झुकना जानता है और झुक कर लोगों को आसानी से फल, फूल देता है तब फिर हम तो इंसान हैं। समझदार हैं। हमें दूसरों की पीडा को समझ कर उनकी समय पर मदद करनी चाहिए। अंहकार व घमंड का त्याग करना चाहिए। अंहम व बहम इंसान के सबसे बडे शत्रु है जिनसे हमें बचकर रहना चाहिए।

जो व्यक्ति अकड में रहता हैं वह न केवल दूसरों का ही नुकसान करना है अपितु स्वंय का भी नुकसान करता हैं। इसलिए झुकना सीखें, अकडना नहीं। घमंड में हमेंशा हानि ही होती है। इसलिए नम्रता व विनम्रता को अपनाये और जीवन को खुशहाल बनाइये। अतः अपने जीवन काल में ही जितना हो सके, उतना दान पुण्य, धर्म कर्म, पूजा पाठ, ईश्वर की भक्ति कर लिजिए और जीवन को आनन्दमय बना लिजिए।

कभी भी किसी कार्य को कल पर न टालें। कल किसने देखा हैं। यह शरीर तो एक मिट्टी के घडे के समान है न जाने कब प्राण निकल जाये और हम इस नश्वर संसार से कूच कर जाये। अतः जब तक इस संसार में है तब तक प्रेम पूर्वक रहे। नम्र रहें। अंहकार का त्याग करे। आपकी समाज में श्रेष्ठ छवि ही आपकी सबसे बडी पूंजी हैं जिसे बनाये रखें।


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झुकना सीखें, अकडना नहीं... जो व्यक्ति अकड में रहता हैं वह न केवल दूसरों का ही नुकसान करना है अपितु स्वंय का भी नुकसान करता हैं। इसलिए झुकना सीखें, अकडना नहीं। घमंड में हमेंशा हानि ही होती है। सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

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