कवि दीप चन्द्र गुप्ता का साक्षात्कार
कवि दीप चन्द्र गुप्ता का साक्षात्कार। सोशल मीडिया पर दीप चन्द्र गुप्ता का नाम कवि के रूप में लोकप्रिय है और इनकी कविताओं में समाज और जनजीवन से प्रेम का सहज भाव समाया है। यहां प्रस्तुत है, राजीव कुमार झा से इनकी संक्षिप्त बातचीत…
दीपचंद्र जी साक्षात्कार में आपका बहुत : बहुत स्वागत है। राजीव जी,आपका बहुत आभार। जो आपने मुझे साहित्य के प्रति अपने विचारों को रखने का अवसर दिया। आपका भी बहुत बहुत स्वागत वंदन अभिनंदन है।
प्रश्न :परिचय एवं साहित्य जगत की शुरूआत के बारे में बताएं?
उत्तर : राजीव जी,मेरा नाम दीप चंद्र गुप्ता है, मैंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है और साथ ही उच्च शिक्षा में मैंने पत्राचार से एम.बी.ए.,मार्केटिंग मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। परिवार में जीवन संगिनी प्रियंका अग्रहरि जी हैं जो उत्तर प्रदेश सरकार प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर में सहायक शिक्षिका हैं और हमारा एक बेटा स्वास्तिक गुप्ता है जो अभी छात्र है। मैं दवा व्यवसाय से जुड़ा हुआ हूं साथ ही साहित्य लेखन पठन पाठन में रुचि रखता हूं।
साहित्य के प्रति मेरा रुझान मेरे पिता जी के रामायण पढ़ने के दौरान प्रारंभ हो गया था। जब मैं उनके साथ रामायण की चौपाइयां पढ़ता और साथ ही छोटी छोटी कविताएं लिखकर उन्हें सुनाया करता था तब से अब तक बराबर लिखता पढ़ता और सुनाता चला आ रहा हूं और आगे भी और अच्छा लिखने का प्रयास जारी रहेगा।
प्रश्न : अपनी रचनाओं,विधाओं एवं भविष्य की साहित्यिक योजना के बारे में कुछ बताएं?
उत्तर : राजीव जी, मेरी रचनाएं संक्षेप में सामाचार पत्रों में अकसर छपती रहती हैं,दो सांझा संकलन प्रकाशित होने वाले हैं जो जनवरी तक आ जाएंगे। वर्तमान में मैं तीन काव्य संग्रह लिख रहा हूं जो निम्नवत हैं-
- राजा : रानी की लव स्टोरी और मैं
- बुंदेलखंड की गौरव गाथा
- संक्षिप्त रामकथा
राजीव जी, प्रमुख रूप से मैं गीत ही लिखता हूं, साथ ही दोहे, छंद और गज़लें लिखना भी मुझे पसंद है।
प्रश्न : आप किन कवियों से प्रभावित हैं?
उत्तर : राजीव जी, मुझे वैसे तो सभी कवियों की रचनाओं को पढ़ना अच्छा लगता है लेकिन रामधारी सिंह दिनकर जी कविताएं मुझे बहुत प्रेरित करती हैं।
प्रश्न : आप युवा कवि हैं तो आप आज के युवा कवियों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर : राजीव जी, मेरा मानना है कि युवा कवियों को गुरु शिष्य परंपरा का अनुसरण करना चाहिए। अच्छे गुरू बनाते हुए उनके दिए हुए मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए।छंद विधान एवं मापनी का ज्ञान बिना गुरू के संभव ही नहीं है। साथ ही हमें अपनी रचनाओं में समाज में फैली बुराईयों को इंगित करते हुए एक समाधान की तरफ़ ले जाने वाली रचनाएं जरूर लिखनी चाहिए।
प्रश्न : सोशल मीडिया के बारे में आपका क्या कहना है?
उत्तर : राजीव जी, मैं एक सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति हूं, मेरा मानना है कि सोशल मीडिया एक बहुत ही सशक्त माध्यम है, अपनी साहित्यिक कुशलता को श्रोताओं तक पहुंचाने का अतः हमें इसका लाभ उठाना चाहिए।
प्रश्न : आपका जन्म चित्रकूट मानिकपुर में हुआ और अब आप फतेहपुर में रहते हैं, पाठकों को दोनों जगहों के बारे में कुछ बताइए?
उत्तर : राजीव जी, मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि मेरा जन्म चित्रकूट की उस पावन धरा पर हुआ जहां भगवान राम भ्राता लक्ष्मण और पत्नी सीता जी के साथ अपने वनवास काल का समय व्यतीत करते हुए इस धरा को पवित्र कर दिया।चित्रकूट बहुत ही रमणीक जगह है, भगवान कामता नाथ के दर्शन और कामद गिरी पर्वत की परिक्रमा मात्र से ही सभी में एक नई ऊर्जा का संचार होता है।
वहीं फतेहपुर पौराणिक रूप से समृद्ध जिला है यहां भिटौरा एक जगह है जहां भृगु ऋषि ने तपस्या की थी,साथ ही देश की आज़ादी में भी इसका योगदान रहा है। बिंदकी के नजदीक इमली के पेड़ में जोधा सिंह अटैया दरियांव सिंह सहित बावन क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई थी। वहीं झंडा गीत के रचयिता श्याम लाल गुप्ता “पार्षद” जी फतेहपुर के ही थे। गणेश शंकर विद्यार्थी एवं राष्ट्र कवि सोहन लाल द्विवेदी भी इसी धरा के सपूत हैं।
आपकी रचनाएं और विचार सुनकर हमें बड़ी खुशी हुई. राजीव जी, आपका बहुत बहुत आभार जो आपने इतने धैर्य पूर्वक मेरी रचनाओं और विचारों को सुना,पुनः आपका, आपके चैनल और आपकी पत्रिका का बहुत-बहुत आभार।धन्यवाद।
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