जल हैं तो कल है

सुनील कुमार माथुर
सूर्यनगरी जोधपुर में पेयजल संकट दिनों दिन गहराता जा रहा हैं जो कि एक चिंताजनक बात हैं । चूंकि जल हैं तो कल है । जल बिना सब सून हैं । प्रायः यह देखा गया हैं कि जब – जब पानी आता हैं तब – तब लोग घरों को धोने के बहाने खूब मीठा पानी बहाते हैं और सडकों पर बहता यही पानी गंदगी फैलाता हैं । घर धोते समय हम यह भूल जाते हैं कि यही गंदगी जूते – चप्पल के साथ पुनः हमारे घरों में ही आयेगी । इसी तरह से लोग अपनी कारें व स्कूटर पानी के फव्वारे से धोते हैं और कई बाल्टियां पानी बहा देते हैं जो उचित नहीं है
इधर भंयकर आग बरसती गर्मी और ऊपर से पानी का संकट एक गंभीर चिंता का विषय हैं । अब भी वक्त हैं कि पानी की एक – एक बूंद को हम बचाये । पानी को व्यर्थ बहने से रोके जल आज के वक्त में अमृत के समान हैं जिसे बचाना हम सब का दायित्व बनता है । जहां तक हो सके अपने वाहनों को सूखे साफ सुथरा कपडे से साफ करे व अति आवश्यक हो तो गीला कपडा फेर कर भी साफ कर सकते हैं ।
हमारे घरों में आने वाला पानी मीठा पानी हैं इसलिए इसे व्यर्थ मे न बहाये । इसी प्रकार रोज – रोज घर धोना बंद कीजिए व अति आवश्यक हो तभी एक बाल्टी में पानी लेकर पोचा लगा लीजिये । आपकी तनिक सी समझदारी व सहयोग हमें गहराते जल संकट से बचा सकता हैं । किसी ने जमीन से बजरी , किसी ने तेल , किसी ने जल , निकाल कर धरती को खोखला कर दिया हैं ।
इसके बावजूद बहुमंजिला इमारते बन रही है जो कि एक खतरे की घंटी हैं चूंकि जमीनों का भारी दौहन होने से वे नीचे से खोखली व पोली हो गयी हैं । घर – घर जल पहुंचाना सरकार का काम है लेकिन व्यर्थ में बहते जल को बचाने का दायित्व तो हम सभी का है । आज पीने के पानी की एक लीटर की बोतल बीस – पच्चीस रूपये में आती हैं तो हिसाब लगाईये कि पानी कितना मंहगा हो गया हैं ।
आज जल के संकट को देखते हुए प्रशासन को जल स्त्रोतों पर पहरा बैठाना पडा हैं ताकि पेयजल की चोरी न हो सके । आब भी वक्त हैं कि पानी को व्यर्थ बहने से रोके व रसोईघर से पानी नाली में जा रहा हैं ( बर्तन व सब्जियां धोने से ) उसे भी इस्तेमाल में लीजिए व अपने घरों के बाग – बगीचों में व क्यारीयों में डालिएं ताकि पानी का सदुपयोग हो सके व हमें ताजा व पौष्टिक सब्जियां मिल सकें । पेयजल संकट को देखते हुए सभी को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा अन्यथा हम एक – एक बूंद पानी को तरस जायेंगे ।
जल बिना भोजन पकाना भी दूर हो जायेगा । नहाना – धोना तो दूर की बात रही । पानी की बचत कीजिए और दूसरों को भी प्रेरित कीजिए । यही वक्त की पुकार है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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