विरासत : नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर

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विरासत : नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर… यह राष्ट्रीय स्मारक भी है। इसकी स्थापना गुप्त काल में हुई थी। हर्षवर्धन ने भी इसे अनुदान दिया था। यहां तिब्बत, कोरिया, चीन और इंडोनेशिया से भी छात्रगण पढ़ने… ✍🏻 राजीव कुमार झा

नालंदा महाविहार के पुरावशेष सारी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। यह प्राचीन काल में दुनिया का सबसे महान शिक्षा केन्द्र था और मुस्लिम काल में इसका पतन हो गया। नालन्दा के पुरावशेष मिट्टी के टीलों में बदल गये और ब्रिटिश काल में जनरल कनिंघम की देखरेख में संपन्न इसके उत्खनन से इसके जीर्णावशेष प्रकाश में आये और कुछ साल पहले यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्मारक भी घोषित किया है।

यह राष्ट्रीय स्मारक भी है। इसकी स्थापना गुप्त काल में हुई थी। हर्षवर्धन ने भी इसे अनुदान दिया था। यहां तिब्बत, कोरिया, चीन और इंडोनेशिया से भी छात्रगण पढ़ने आया करते थे और यहां का पुस्तकालय प्रसिद्ध था। यहां के बारे में ह्वेनसांग ने भी लिखा है।

नालंदा के अवशेषों के संरक्षण का कार्य चल रहा है ‌। यहां कई विशाल परिसर हैं और इनमें छात्रा वास के कमरे , अध्ययन कक्ष, पूजा स्थल , आंगन और बरामदों की चर्चा महत्वपूर्ण है। नालंदा में संग्रहालय भी है।

नालंदा में आजादी के बाद भारत सरकार के द्वारा नव नालंदा महाविहार की स्थापना की गयी है।यह बौद्ध अध्ययन संस्थान है। बिहार सरकार ने भी यहां नालंदा खुला विश्वविद्यालय को स्थापित किया है।

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विरासत : नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर... यह राष्ट्रीय स्मारक भी है। इसकी स्थापना गुप्त काल में हुई थी। हर्षवर्धन ने भी इसे अनुदान दिया था। यहां तिब्बत, कोरिया, चीन और इंडोनेशिया से भी छात्रगण पढ़ने... राजीव कुमार झा

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