प्रकृति में खुशबू

सुनील कुमार माथुर
प्रकृति में खुशबू पाई जाती है । यही कारण है कि हमें फलों , फूलों , मसालों , मिष्ठान्नों में खुशबू नजर आती हैं लेकिन मिलावट करने से खुशबू समाप्त हो जाती हैं आज सब्जियों , फलों , मिष्ठान्नों में खुशबू नहीं है चूंकि आज हर चीज नकली व मिलावटी है । खेतों मंदिर आज यूरिया खाद डाली जा रही है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है फिर भी किसान अपने मुनाफे के लिए जनहित की अनदेखी कर रहा है । यही हाल मिलावटखोरों का है ।
हमारे देश में मलावटखोरों को पकडने व दंडित करने के लिए पृथक से एक विभाग बना हुआ हैं फिर भी मिलावट का दौर जारी है चूंकि विभाग के चंद अधिकारी व कर्मचारी रिश्वत के चक्कर में पडकर जनता के हितों की अनदेखी कर रहे है । इसलिए आज कहीं भी खुशबू नजर नहीं आती है ।
मिलावट के चलते हम अच्छे स्वास्थ्य की कामना कैसे कर सकते हैं । यही वजह हैं कि हमारा स्वास्थ्य दिनों दिन कमजोर होता जा रहा है। आज इत्र भी नकली मिल रहा हैं तो हम उच्च क्वालिटी के खाधान्नों , अनाज , दालों , फल व सब्जियों की आस करें । जब तक इंसान समाज हित की भावना से कार्य नहीं करेगा तब तक हम प्रकृति की खुशबू के लिए यूं ही तरसते रहेगे।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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