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उत्तराखण्ड समाचार

गढ़वाल विवि की अनदेखी से बीएड कक्षाएं बंद होने की नौबत

गढ़वाल विवि की अनदेखी से बीएड कक्षाएं बंद होने की नौबत, उसके बाद गढ़वाल विवि के अधिकारी निजी संस्थानों से चाहते हैं सभी मानक पूरे करें, मानक पूरा करना आवश्यक है, लेकिन प्रवेश के लिए छात्रों के होते हुए…

देहरादून। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि की लापरवाही कई बीएड कालेजों पर भारी पड़ रही है। चालू शिक्षा सत्र में कई बीएड कालेजों में निर्धारित 100 में से मात्र आठ से 12 सीटें पर ही प्रवेश हो पाए हैं। प्रवेश की अंतिम तिथि तीन-तीन बार बढ़ाने के बावजूद विवि से संबद्ध 35 कालेजों में 50 प्रतिशत सीटें भी नहीं भर पाई हैं।

स्ववित्तपोषित कालेजों की स्थिति तो और भी चिंताजनक है। विवि ने हर साल होने वाली बीएड प्रवेश परीक्षा के स्थान पर कंबाइंड यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीईयूटी) की समुचित जानकारी अभ्यर्थियों को नहीं दी। बीएड करने के इच्छुक अभ्यर्थी इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी ने इस वर्ष उत्तरपूर्वी राज्य के साथ-साथ उत्तराखंड में कंबाइंड यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीईयूटी) की छूट दी है, लेकिन यह छूट पारंपरिक विषयों में थी।

बीएड व एमएड कक्षाओं में प्रवेश सीईयूटी के माध्यम से ही होना था, जबकि अभ्यर्थी यह मान बैठे थे कि बीएड कक्षाओं में प्रवेश हर वर्ष की भांति गढ़वाल विवि की प्रवेश परीक्षा के बाद होगा। हालांकि, विवि ने सितंबर से दिसंबर के बीच तीन बाद प्रवेश की अंतिम तिथि बढ़ाई, लेकिन अधिकांश अभ्यर्थी सीईयूटी परीक्षा नहीं दे पाए, जिससे वह प्रवेश की दौड़ में ही शामिल नहीं हो पाए। केवल वही अभ्यर्थी प्रवेश के पात्र हुए जिन्होंने देश के किसी भी राज्य से बीएड प्रवेश के लिए सीईयूटी परीक्षा दी।

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि ने यूजीसी के नियमानुसार जुलाई महीने में बीएड में प्रवेश को कंबाइंड यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीईयूटी) परीक्षा आयोजित हुई थी। परीक्षा के बाद प्रवेश की तिथि तीन बार बढ़ाई गई। उत्तराखंड से ही नहीं किसी भी राज्य से बीएड के लिए सीईयूटी परीक्षा पास करने वाले छात्रों को विवि से संबद्ध कालेजों में प्रवेश दिया जा रहा है। निर्धारित समय तक सीटें कम भर पाई, इसके अनेक कारण हो सकते हैं।
– प्रो. अनिल कुमार नौटियाल, प्रवेश परीक्षा समन्वयक, एचएनबी गढ़वाल विवि

ऐसे छात्रों की संख्या डेढ़ हजार के करीब है। जबकि एचएनबी गढ़वाल विवि से संबद्ध कालेजों में बीएड की साढ़े तीन हजार सीट हैं। अखिल भारतीय अनएडिड विवि महाविद्यालय एसोसिएशन का आरोप है कि गढ़वाल विवि की ओर से सीईयूटी के संबंध में प्रचार-प्रसार भी नहीं किया, जिसके कारण पर्वतीय क्षेत्रों के अधिकांश छात्र सीईयूटी की परीक्षा नहीं दे पाए और अब बीएड में प्रवेश से वंचित हैं।



इस संबंध में विश्वविद्यालय को विभिन्न पत्राचार किए गए, लेकिन विवि के अधिकारियों के नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण कालेजों का संचालन मुश्किल हो रहा है। स्थिति यह है कि गढ़वाल विवि के अपने कैंपस कालेज में ही एमएड की 55 सीटों के सापेक्ष आज तक मात्र 15 सीट पर प्रवेश हुए हैं, यानी विवि के अपने कालेज कैंपस में ही पूरे प्रवेश नहीं हुए हैं।



उसके बाद गढ़वाल विवि के अधिकारी निजी संस्थानों से चाहते हैं सभी मानक पूरे करें, मानक पूरा करना आवश्यक है, लेकिन प्रवेश के लिए छात्रों के होते हुए रास्ता निकालना विवि के अधिकारियों का काम है, लेकिन वर्तमान में विवि की ओर से रास्ता निकालने के बजाय कार्यों को रोकने की प्रवृत्ति बनी हुई है।



हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के अधिकारियों की कार्यप्रणाली बीएड कालेजों पर भारी पड़ ही है। गढ़वाल विवि से संबद्ध स्ववित्तपोषित कालेजों का संचालन भी इस बार मुश्किल हो रहा है। जिस बीएड कालेज में निर्धारित 50 सीट हैं, यदि वहां निर्धारित तिथि तक मात्र आठ से 12 प्रवेश हुए हैं तो ऐसी स्थिति में कक्षाएं संचालित करना संभव नहीं है। संस्थान पर इस बात की तलवार लटक रखी है कि जितने प्रवेश लिए गए हैं, उनकी नियमित कक्षाएं संचालित करनी होगी। गढ़वाल विवि की यह अनेदखी नई शिक्षा नीति की अनदेखी का साक्ष्य है।



इन संस्थानों में ये है प्रवेश की स्थिति

संस्थान
प्रवेश
मंजिला देवी कालेज उत्तरकाशी
8
रुड़की डिग्री कालेज धनौरी
12
द्रोणाचार्य कालेज विकासनगर
14
मालिनी कालेज कोटद्वार
22
सृष्टि इंस्टीट्यूट रुड़की
22
हिमालयन कालेज रुड़की
24
डाल्फिन कालेज देहरादून
24
उत्तरांचल कालेज देहरादून
24
डीडी कालेज देहरादून
50

 

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